यूपी 80 न्यूज़, लखनऊ
देवरिया जिले में एकमुश्त 85 शिक्षकों की बर्खास्तगी तो सिर्फ बानगी है, अभी तमाम निशाने पर हैं। यह संख्या चार हजार भी पार कर सकती है। बेसिक शिक्षा महकमें में हड़कंप मच गया है। सवाल यह है कि इतनी बड़ी तादाद में फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर कैसे भर्ती हो गई। अभिलेख सत्यापन के दौरान तो काउंसिलिंग किया जाता है। काउंसिलर आखिर पड़ताल किस बात की करते हैं। कई-कई साल नौकरी करने के बाद जब धांधली की पुष्टि होती है तो शिक्षक तो बाहर जाता ही है, महकमे की क्या बदनामी नहीं होती है। भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठते हैं। उत्तर प्रदेश के देवरिया में हाल ही में शिक्षा विभाग ने 85 शिक्षकों को बर्खास्त किए हैं, विभाग में हडकंप है।
यह पहली बार नहीं हुआ है, पहले भी यूपी के अलग-अलग जिलों में तमाम शिक्षकों की बर्खास्तगी हुई हैं। 2019 में ही एसआईटी ने प्रदेश भर में 4000 से अधिक फर्जी शिक्षकों को चिन्हित किया था, जिसकी जानकारी तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री ने खुद मीडिया को दी थी। एसआईटी जांच के दौरान करीब 4700 ऐसे बीएड डिग्रीधारक मिले थे, जिनकी डिग्री या तो फर्जी थी या उसमें किसी प्रकार की हेरफेर हुई थी। एसआईटी ने फर्जी डिग्रीधारकों की सूची बनाकर जिलावार शिक्षा विभाग को भेजी थी, जिसके आधार पर जांच करके तमाम शिक्षकों पर कार्रवाई की गई। सरकार लगातार कार्रवाई कर रही है।
देवरिया से पहले मथुरा में भी 2019 में 60 शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया था।इनकी बीएड की डिग्री फर्जी पाई गई थी। बाराबंकी में 2018-19 मे 20 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया था। इन शिक्षकों पर फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी हासिल करने का आरोप था, जो जांच में सही पाया गया। बलिया में 2019 में एक सरकारी स्कूल टीचर बर्खास्त किया गया था, जो 20 साल से नौकरी कर रहा था। यूपी के कई जिलों में कार्रवाई हुई है और आगे भी कार्रवाई जारी रहने की संभावना है।
यूपी में जिन भी शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है, उनमें से अधिकतर पर यह आरोप है कि वह फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहे थे। बर्खास्तगी का आशय सीधा सेवा समाप्ति है, जिसे इसे अंग्रेजी में नौकरी से डिसमिस कहा जाता है। किसी कर्मचारी को बर्खास्त किया जाता है तो उसे किसी तरह की कोई सैलरी या कोई भत्ता नहीं दिया जाता।