यूपी80 न्यूज, लखनऊ
उत्तर प्रदेश की विधानसभा Uttar Pradesh assembly और विधान परिषद Uttar Pradesh Legislative Council में 186 ऊंचे सरकारी पदों पर भर्ती में बड़े पैमाने पर घोटाले का मामला प्रकाश में आया है। RO/ARO जैसे 38 महत्वपूर्ण पदों पर नेताओं, अधिकारियों और एग्जाम कराने वाली बाहरी एजेंसी के मालिकों के रिश्तेदारों की नियुक्ति कर दी गई। प्रदेश में 3 साल पहले हुई इस भर्ती घोटाला का इंडियन एक्सप्रेस ने खुलासा किया है।
आश्चर्य की बात ये है कि एग्जाम कराने वाली इन एजेंसियों के मालिक एक अन्य भर्ती में गड़बड़ी के आरोप में जेल जा चुके हैं।
2020 में निकाली गई थी भर्ती:
उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 99 पदों के लिए 17 और 27 सितंबर को विज्ञापन जारी किया गया। 11 मार्च 2021 को इसका रिजल्ट जारी कर दिया गया। इसी तरह उत्तर प्रदेश विधानसभा में 87 पदों के लिए दिसंबर 2020 में विज्ञापन जारी किया गया और 26 मार्च 2021 को इसक रिजल्ट आया। इन पदों के लिए लगभग 2.5 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था।
इन नेताओं व अधिकारियों के रिश्तेदारों की हुई भर्ती:
पूर्व विधानसभा स्पीकर हृदय नारायण दीक्षित के पीआरओ और उनके भाई- स्पेशल एक्जीक्यूटिव ऑफिसर (नया पद)
संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव जयप्रकाश सिंह का बेटा और बेटी- RO
विधानसभा में प्रमुख सचिव प्रदीप दूबे के चचेरे भाईयों के तीन बेटे और ममेरे भाई का एक बेटा-RO/ARO
विधान परिषद के प्रमुख सचिव राजेश सिंह का बेटा-RO
पूर्व मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता महेंद्र सिंह का भतीजा- ARO
उपलोकायुक्त और विधि विभाग के पूर्व प्रमुख सचिव दिनेश कुमार सिंह का बेटा-RO
अखिलेश यादव और सीएम योगी के पूर्व ओएसडी अजय कुमार सिंह का बेटा- RO
विधान परिषद के अतिरिक्त निजी सचिव धर्मेंद्र सिंह का बेटा और भाई- क्रमश: ARO और अतिरिक्त निजी सचिव
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी जैनेंद्र सिंह यादव उर्फ नीटू का भतीजा- RO
राभव के मालिक राम प्रवेश यादव की पत्नी-RO
टीएसआर डाटा प्रोसेसिंग के डायरेक्टर राम बीर सिंह के भतीजे, भतीजी और बहनोई- ARO
टीएसआर डाटा प्रोसेसिंग के निदेशक सत्यपाल सिंह का भाई- ARO
हाईकोर्ट ने इसे भर्ती घोटाला बताते हुए सीबीआई जांच का दिया आदेश:
एग्जाम में फेल होने वाले तीन अभ्यर्थी सुशील कुमार, अजय त्रिपाठी और अमरीश कुमार ने 2021 में इसके खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। एक और कैंडिडेट विपिन कुमार सिंह ने याचिका देकर मार्क्स में हेराफेरी का आरोपी लगाया था।
विपिन सिंह ने अदालत में यह भी कहा था कि एग्जाम का रिजल्ट कभी सार्वजनिक नहीं किया गया और न ही रिजल्ट की तारीख बताई गई। हालांकि विधानसभा सचिवालय की तरफ से उच्च न्यायालय में कहा गया कि फाइनल रिजल्ट आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया गया था। वहीं, एआरओ की फाइनल मेरिट लिस्ट सचिवालय के नोटिस बोर्ड पर चिपका दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए 18 सितंबर 2023 को सीबीआई जांच का आदेश देते हुए कहा,
“यह चौंकाने वाला मामला है और किसी भर्ती घोटाले से कम नहीं, जहां सैकड़ों भर्तियां अवैध और गैर कानूनी तरीके से एक गैर भरोसेमंद बाहरी एजेंसी द्वारा की गई।”