गैर-विभागीय अम्यर्थियों की नियुक्ति से ऊर्जा निगमों पर अतिरिक्त व्यय भार पड़ता है: संघ
यूपी80 न्यूज, सोनभद्र
विद्युत अभियन्ता संघ ने ‘आत्मर्निभर ऊर्जा निगम’ बनाने हेतु निदेशक पदों पर गैर-विभागीय अभ्यर्थियों की बजाय विभागीय अभियन्ताओं का चयन करने का सुझाव दिया है। संघ ने कहा है कि गैर-विभागीय चयन से ऊर्जा निगमों पर अतिरिक्त व्यय पड़ता है।
वर्तमान में वित्तीय दबाव के चलते खर्चे कम करने हेतु विद्युत अभियन्ता संघ ने सुझाव देते हुए मांग की है कि ऊर्जा निगमों में निदेशकों को रिक्त पदों पर होने वाले सभी चयनों में विभागीय अभियन्ताओं की ही नियुक्ति की जाये, जिससे ऊर्जा निगमों पर कोई अतिरिक्त व्यय भार न पड़े। गैर-विभागीय अम्यर्थियों की नियुक्ति से ऊर्जा निगमों पर अतिरिक्त व्यय भार पड़ता है। विद्युत अभियन्ता संघ ने इस सम्बन्ध में एक पत्र मुख्य सचिव को प्रेषित किया है।
विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष इं. राजीव कुमार सिंह एवं महासचिव इं. जितेन्द्र सिंह गुर्जर ने बयान जारी कर बताया कि ऊर्जा निगमों में निदेशक के रिक्त पदों पर गैर-विभागीय अभ्यर्थियों की नियुक्ति न कर विभागीय आंतरिक अभ्यर्थियों की नियुक्ति किये जाने हेतु समय-समय पर मांग की जाती रही है। संज्ञान में आया है कि हाल ही में ऊर्जा निगमों में निदेशक के रिक्त पदों पर नियुक्तियां होनी है। विभागीय अभियन्ताओं को विभागीय कार्यप्रणाली एवं भौगोलिक संरचना का पूर्ण ज्ञान होने से उनका निदेशक पदों पर नियुक्ति उपभोक्ता सेवा को और बेहतर करने में कारगर सिद्ध होगी। साथ ही वर्तमान में सभी सरकारी विभाग वित्तीय दबाव में चल रहे हैं इसलिए गैर-जरूरी खर्च न करते हुए मितव्ययता बरतने हेतु इस दिशा में भी उपाय किये जाने चाहिए। विगत में ऊर्जा निगमों में आन्तरिक विभागीय अभियन्ताओं को वरीयता न देकर अन्य राज्यों/केन्द्र सरकार के उपक्रमों यथा उड़ीसा, महाराष्ट्र, पावर ग्रिड, एन0टी0पी0सी0 आदि के अभियन्ताओं (उदाहरणार्थ- पूर्व नियुक्त राधेमोहन, पी0जी0 खण्डालकर, पी0सी0 पांडा, पी0के0 अग्रवाल, आर0के0 गुप्ता आदि के अलावा वर्तमान में भी कई गैर-विभागीय निदेशक पदों पर नियुक्त हैं) को निदेशक पदों पर चयनित किया गया, परन्तु विभाग एवं उ0प्र0 सरकार की कार्य प्रणाली से अनभिज्ञ होने के कारण इन गैर-विभागीय निदेशकों द्वारा कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया जा सका।
गैर-विभागीय निदेशकों की कार्य प्रणाली से कई माहों तक भ्रम, अनिर्णय एवं प्रशासनिक अव्यवस्था की स्थिति बनी रहती है तथा इन निदेशकों द्वारा विभागीय अभियन्ताओं पर अविश्वास करते हुए उन्हें समय-समय पर अपमानित भी किया जाता है, जिससे कार्यरत अधीनस्थ विभागीय अभियन्ताओं के मनोबल पर विपरीत असर पड़ता है। इसके अतिरिक्त गैर विभागीय/बाहर से नियुक्त किये गये निदेशकों हेतु उनके कार्यालय, वेतन, भत्तों, आवास/एच0आर0ए0, चिकित्सा, वाहन आदि पर अतिरिक्त व्यय होता है, जिसका बोझ अन्ततः विभाग पर ही पड़ता है, जबकि विभागीय अभियन्ताओं की निदेशक पद पर नियुक्ति करने से विभाग पर कोई अतिरिक्त व्यय भार नहीं आता है। इसके दृष्टिगत वर्तमान में वित्तीय दबाव के चलते यह समीचीन है कि खर्चे कम करने के हर सम्भव प्रयास किये जायें एवं इस कड़ी में ऊर्जा निगमों में निदेशक पदों पर मात्र विभागीय अभियन्ताओं का चयन कर इस मद में होने वाले खर्चे न्यूनतम किये जा सकते हैं।
उन्होंने ऊर्जा मंत्री से अपील की कि मुख्यमंत्री के निर्देशन एवं उ0प्र0 सरकार के संकल्प को धरातल पर अक्षरशः साकार करने तथा ‘आत्मनिर्भर ऊर्जा निगम’ बनाने के क्रम में विभागीय अभियन्ताओं का विश्वास करते हुए ऊर्जा निगमों में निदेशक पदों पर विभागीय अभियन्ताओं की नियुक्ति की जाये जिससे ऊर्जा निगमों पर वित्तीय दबाव कम पड़े एवं कार्यप्रणाली भी प्रभावित न हो।