यूपी80 न्यूज, लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की पांच सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा BJP ने चार सीटें जीतकर फिर साबित किया है कि उसकी पकड़ मजबूत है। विधान परिषद चुनाव की घोषणा के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह के नेतृत्व में हर सीट के लिए मंत्रियों और पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई। कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर संवाद किया गया। नतीजा चार सीटें खाते में आईं। हालांकि बावजूद इसके कानपुर उन्नाव शिक्षक खंड सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी राजबहादुर सिंह चंदेल ने जीत दर्ज की। यहाँ बीजेपी-सपा दोनों की नहीं चली।
विधान परिषद की तीन स्नातक एवं दो शिक्षक खंड पर हुए चुनाव में मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी मुकाबले में भी नजर नहीं आई। मतदाताओं को जोड़ने के बड़े बड़े दावे किए गए, लेकिन परिणामों ने निराश किया। सपा को एक सीट भी नहीं मिली, नेता प्रतिपक्ष के पद की हसरत फिर पूरी नहीं हुई।
विधान परिषद की बरेली-मुरादाबाद खंड स्नातक सीट पर भाजपा उम्मीदवार जयपाल सिंह व्यस्त ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की है। उन्होंने सपा के शिव प्रताप सिंह को 51257 वोटों से हराकर जीत अपने नाम की। 1986 से सीट पर अजेय भाजपा की यह आठवीं जीत है। विधानपरिषद की कानपुर-उन्नाव खंड स्नातक सीट से भाजपा प्रत्याशी अरुण पाठक ने जीत दर्ज की है। अरुण पाठक ने 62501 वोटों के साथ जीत दर्ज की है। उन्होंने समाजवादी पार्टी के कमलेश यादव को 53185 वोटों से हराया है, जिन्हें 9331 वोट मिले। स्नातक एमएलसी चुनावों में 6728 अवैध घोषित किए गए।
कानपुर उन्नाव शिक्षक खंड सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी राजबहादुर सिंह चंदेल ने छठवीं बार जीत दर्ज की है। वह 1520 वोटों से विजयी हुए हैं। द्वितीय वरीयता की मतगणना के बाद उन्होंने 1548 वोटों से अपने प्रतिद्वंदी हेमराज को हराया, जिन्हें 3681 वोट मिले। भाजपा प्रत्याशी वेणु रंजन भदौरिया तीसरे नंबर पर रहे, जिन्हें 3282 मत मिले। भाजपा ने वेणु रंजन भदौरिया को मैदान में उतारा लेकिन पार्टी यहां उलटफेर करने में नाकाम रही।
इलाहाबाद-झांसी खंड स्नातक सीट से भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल तिवारी ने जीत दर्ज की। उन्होंने 1,403 वोटों से अपने प्रतिद्वंदी सुरेश कुमार त्रिपाठी को शिकस्त दी। गोरखपुर-फैजाबाद खंड स्नातक सीट से जीत की हैट्रिक लगाने वाले भाजपा उम्मीदवार देवेंद्र प्रताप सिंह ने रिकॉर्ड बनाया है। इस सीट पर अब तक जितने भी परिणाम आए हैं, सभी द्वितीय वरीयता के मतों की गिनती के बाद ही आए। पहली बार हुआ जब प्रथम वरीयता के मतों की गिनती से ही फैसला हो गया।