रालोद प्रमुख ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को लिखा पत्र
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
“सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान Azam Khan की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने में इतनी सक्रियता दिखाई गई, लेकिन बीजेपी विधायक विकम्र सैनी BJP MLA Vikram Saini की सजा पर संज्ञान क्यों नहीं लिया गया?” रालोद RLD प्रमुख जयंत चौधरी Jayant Chaudhary ने उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिखकर यह सवाल किया है। विक्रम सैनी मुजफ्फरनगर के खतौली से भाजपा के विधायक हैं। जयंत चौधरी ने विक्रम सैनी के खिलाफ सजा के प्रकरण को संज्ञान में लेने की मांग की है।
जयंत चौधरी ने अपने पत्र में लिखा है कि वर्ष 2013 में हुये मुजफ्फरनगर दंगों के लिए स्पेशल एमपी, एमएलए कोर्ट द्वारा 11 अक्तूबर 2022 को जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत विधायक विक्रम सैनी को 2 साल की सजा सुनाई थी। इस प्रकरण को भी संज्ञान में लिया जाए। उन्होंने कहा कि स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में हेट स्पीच के मामले में आपके (विस अध्यक्ष) कार्यालय द्वारा त्वरित फैसला लेते हुये समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गयी है। जन प्रतिनिधि कानून लागू करने की आपकी सक्रियता की यद्यपि प्रशंसा की जानी चाहिए, किंतु जब पूर्व में गठित ऐसे ही मामले में आप निष्क्रिय नजर आते हैं। ऐसे में आप जैसे त्वरित न्याय करने वाले की मंशा पर सवाल खडा होता है।
पत्र में लिखा गया है, सवाल है कि क्या कानून की व्याख्या व्यक्ति- व्यक्ति के मामले में अलग अलग रूप से की जा सकती है? विक्रम सैनी को सजा सुनाने के मामले में कोई पहल नहीं की गई। सवाल यह है कि क्या सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है। यह सवाल तब तक अस्तित्व में रहेगा जब तक आप भाजपा विधायक विक्रम सैनी के मामले में ऐसी ही पहल नहीं करते।