बीमार होने के बावजूद अस्पताल से मेंस का एक्जाम देने गई प्रतिभा वर्मा Pratibha Verma
आईएएस टॉपर प्रतिभा IAS Topper Pratibha Verma की कहानी सुने मां उषा वर्मा की जुबानी
बलिराम सिंह, सुल्तानपुर/लखनऊ
एक किसान की बेटी, जो 40 साल पहले जब जौनपुर में स्कूल पढ़ने जाती थी, तो गांव के पड़ोसी ताना मारते हुए कहते थें कि बेटी को पढ़ाकर कलेक्टर collector बनाओगे क्या! लेकिन किसान ने पड़ोसियों के ताने को नजरअंदाज करते हुए बेटी को पढ़ाया और वह बेटी बड़ी होकर अध्यापिका बनी। 30 साल बाद जब उस अध्यापिका की बेटी ने 10वीं में पूरे जिला में सर्वोच्च स्थान लाया तो घर पर बधाई देने वाले रिश्तेदारों ने बेटी को आईएएस IAS की तैयारी करने की सलाह दी। रिश्तेदारों के हौसले से उस मां को अपनी पुराने दिन याद आ गयें और बिटिया को देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा IAS पास करने के लिए प्रेरित करने लगी। आज उस मां का त्याग एवं बेटी की मेहनत का ही फल है कि वह बेटी आईएएस की परीक्षा CSE2019 में पूरे देश में महिलाओं में पहले पायदान पर आई है। हम बात कर रहे हैं आईएएस टॉपर प्रतिभा वर्मा की।
आज प्रतिभा वर्मा की सफलता पर उनके घर पर बधाइयों का तांता लग गया है। हर कोई बिटिया और उसके माता-पिता को बधाई देने घर आ रहा है। लेकिन इस सफलता से पहले प्रतिभा वर्मा एवं उनके परिवार ने जो मेहनत और तपस्या की, उसके बारे में खुद प्रतिभा वर्मा की मां उषा वर्मा ने www.up80.online को विस्तार से जानकारी दी:
प्रतिभा वर्मा Pratibha Verma मूल रूप से पूर्वांचल के जौनपुर Jaunpur के शाहगंज क्षेत्र के गैरवाह Gairwah (मानपुर, विकास खंड-सुइथकला) की रहने वाली हैं। उनके माता-पिता दोनों अध्यापक हैं और पिछले 30 सालों से सुल्तानपुर में रह रहे हैं। प्रतिभा की मां उषा वर्मा कहती हैं,
“जब मैं छोटी थी और स्कूल में पढ़ने जाती थी तो गांव के लोग पिताजी को ताना मारते थे और कहा करते थें कि बेटी को कलेक्टर बनाओगे क्या, जो इतना पढ़ा रहे हो। पिताजी के त्याग एवं मेहनत से मैं एक अध्यापिका बन गई। हालांकि उस जमाने में मैं आईएएस के बारे में बहुत ज्यादा जागरूक नहीं थीं। इसलिए कलेक्टर बनने की इच्छा मन में ही दब कर रह गई। मेरे पति भी अध्यापक हैं।”

उर्षा वर्मा आगे कहती हैं, “जब मेरी बेटी प्रतिभा 12 साल पहले 10वीं में जनपद टॉप की तो हमारे रिश्तेदारों एवं करीबी लोगों ने उसे आईएएस की तैयारी करने की सलाह दी। उस दौरान मुझे अपने पुराने दिन याद आ गएं और बिटिया में ही अपने पुराने अरमान मैं देखने लगी। बेटी को आईएएस की तैयारी के लिए हमलोग उसी समय से प्रेरित करने लगे। प्रतिभा भी एकमात्र लक्ष्य के तौर पर आईएएस की तैयारी में जुट गई। आज उसी मेहनत का परिणाम है कि हमारी बेटी ने आईएएस टॉप किया है।”
अस्पताल से जाकर एक्जाम देती थी प्रतिभा:
सिविल सर्विसेज मेंस एक्जाम के दौरान प्रतिभा की तबियत ज्यादा खराब हो गई। 8 पेपर समाप्त होने के बाद एक दिन उसे अचानक डायरिया की शिकायत हो गई। प्रतिभा वर्मा की बड़ी बहन ने उसे दिल्ली स्थित लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में भर्ती कराया। प्रतिभा की बड़ी बहन खुद दिल्ली में डॉक्टर हैं। तबियत खराब होने से प्रतिभा थोड़ा अपसेट हो गई थीं, अपनी दीदी से बार-बार कह रही थीं कि इस बार मेरा पेपर बहुत अच्छा हुआ है। इस दौरान प्रतिभा की दीदी एवं उनके छोटे भाई ने उनका हौसला बढ़ाए रखा। भर्ती होने के दो दिन बाद प्रतिभा अस्पताल से ही सीधे मेंस का एक्जाम देने गई और फिर अस्पताल आ गई। इसी तरह अंतिम पेपर भी प्रतिभा अस्पताल से ही जाकर दी। इन विषम परिस्थितियों में भी प्रतिभा वर्मा ने अपना हौसला नहीं खोया और आईएएस के एक्जाम में सफल हुई।
2010 में सुल्तानपुर छोड़ दी:
प्रतिभा वर्मा ने आईएएस की तैयारी के लिए 2010 में 12वीं पास करने के बाद सुल्तानपुर छोड़ दिया।
2018 में आईएएस का एक्जाम देने से पहले अनुभव के लिए वोडाफोन की कंपनी में मैनेजर के तौर पर कार्य किया।
– 2018 के सिविल सर्विस एक्जाम में प्रतिभा का असिस्टेंट इंकम टैक्स कमिश्नर के तौर पर चयन हुअ और छुट्टी लेकर वह फिर से आईएएस की तैयारी कर रही थीं।

पढ़ते रहिए www.up80.online रोल मॉडल: 4 वर्ष के बच्चे की मां डॉ.अनुपमा सिंह बनी आईएएस
छात्रों के लिए प्रतिभा वर्मा का संदेश:
आईएएस की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं को प्रतिभा वर्मा कहती हैं:
सबसे पहले आप अपना लक्ष्य तय कीजिए
हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के दौरान ही अपने रूचि के विषय को तय कीजिए।
आईएएस पास करने वाले सफल लोगों की जीवनी पढ़ें और उनके संघर्ष पूर्ण जीवन से प्रेरणा लें।
तैयारी के लिए एनसीईआरटी की किताबें ज्यादा उपयोगी हैं
इसके अलावा आप रोजाना अखबार एवं मैगजीन पढ़ें, इससे आपको देश-दुनिया में घटित खबरों की जानकारी मिलती रहेगी।
पढ़ते रहिए www.up80.online पेट्रोल पम्प पर काम करने वाले पिता ने घर बेचकर पढ़ाया, बेटा बना आईएएस