बलिराम सिंह, लखनऊ
आज पूरा देश होली का पर्व मना रहा है। लेकिन उत्तर प्रदेश के दलित-पिछड़ा वर्ग के नौजवान इस पर्व पर भी सामाजिक न्याय के लिए अन्न त्याग कर धरना पर बैठे हुए हैं। दु:ख की बात यह है कि सामाजिक न्याय के नाम पर जो नेता और मंत्री इनके वोट के बल पर आज सत्ता की मलाई खा रहे हैं उनके कानों पर भी इन नौजवानों के भूख हड़ताल का कोई असर नहीं पड़ रहा है।
हम बात कर रहे हैं 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की। ये अभ्यर्थी होली के पर्व पर भूखा रहने के लिए मजबूर हैं। धरना स्थल पर मौजूद अभ्यर्थी रवि शंकर पटेल का कहना है कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में प्रदेश की सरकार शुरू से ही हीला हवाली करती रही। इसी वजह से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया और वहां भी सरकार अपना पक्ष रखने से दूर भागती है। सुप्रीम कोर्ट से केवल तारीख पर तारीख मिलती है सुनवाई नहीं हो रही। इसीलिए हम लोगों ने होली पर एक दिन अन्न न ग्रहण करने का फैसला किया है। जब हमारे भविष्य को ही चूना लगाए जाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है तो ऐसे में हम रंग लगा कर होली कैसे मनाएं।
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र ने कहा कि हम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी पिछले लगभग पांच वर्ष से लगातार संघर्ष करते आ रहे हैं सरकार से मांग करते हैं, लेकिन हमारी बात नहीं सुनी जा रही। सुनवाई न होने से सभी अभ्यर्थी आहत है।
उन्होंने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण लागू करने में विसंगति के कारण हम अभ्यर्थी दर -दर की ठोकर खा रहे हैं जबकि हमें हाईकोर्ट डबल बेंच ने न्याय देते हुए फैसला हमारे पक्ष में सुनाया है। सरकार की लापरवाही के कारण यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में चला गया है।


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