चरौंवा गांव: अमर शहीद के परिजन एक आवास के लिए भटक रहे हैं
यूपी80 न्यूज, बलिया
देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले महान स्वतंत्रा संग्राम सेनानी अमर शहीद खर बियार Khar Biyar के परिजन छप्पर में रहने को मजबूर हैं। उनका परिवार एक आवास के लिए भटक रहा है। गरीबों को घर देने की प्रधानमंत्री आवास योजना का क्रियान्वयन बलिया के बेल्थरारोड तहसील में अधिकारियों की पोल खोल रहा है। ग्राम प्रधान भी मानते हैं कि क्रांतिकारी का परिवार गंवई राजनीति के चलते एक आवास के लिए भटकने को मजबूर हैं।
देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बागी बलिया के बेल्थरारोड तहसील के चरौंवा गांव के अमर शहीदों की एक अहम भूमिका रही है। इन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए प्रत्येक वर्ष चरौंवा स्थित 25 अगस्त को शहीद स्तंभ पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
इन अमर शहीदों में शामिल महान क्रांतिकारी खर बियार के पौत्र दिनेश बियार आज भी एक अदद छत के लिए अपने परिवार के साथ भटक रहे हैं। दिनेश बियार का कहना है कि हमारे बाबा ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। बावजूद इसके हमारा परिवार आज भी सरकारी सुविधाओं से वंचित है। उन्होंने कहा कि जब मेरे दोनों बच्चे पुत्री अनु (19 वर्ष) व पुत्र अरविंद (17 वर्ष) काफी छोटे थे, तभी मेरी पत्नी का निधन हो गया। अपनी टूटी-फूटी मड़ई में ही रह कर मैंने मजदूरी कर उनका पालन पोषण किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में प्रधानमंत्री आवास योजना की जब शुरुआत हुई तो लगा कि मुझे भी आवास योजना का लाभ मिलेगा, लेकिन आज भी एक छत के लिए भटकना पड़ रहा है।
गंवई राजनीति के चलते नहीं मिला आवास:
गांव के वर्तमान प्रधान देवेन्द्र यादव ने बताया कि वर्ष 2020 में आवास के लिए 722 लोगों की लिस्ट बनाई गई थी। जिसमें इनका नाम भी शामिल था, परन्तु गंवई राजनीति के चलते अंत में जारी 169 लोगों की लिस्ट से इनका नाम विलुप्त कर दिया गया। आश्चर्य जताया कि जहां सरकार देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव के रूप में मना रही है, वहीं एक शहीद के परिवार को एक घर के लिए भटकना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि गांव के दरियापुर स्थित मणिन्द्रनाथ इंटर कॉलेज का मैं प्रबंधक भी हूं जहां मेरे द्वारा दिनेश बियार के पुत्र की शिक्षा का नि: शुल्क प्रबंध किया गया है।
बता दें कि बलिया जनपद के बेल्थरा रोड तहसील के चरौंवा गांव में जन्मे खर बियार पुत्र स्व0 धनई 1942 की ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान बलिया जिले की जनता ने जब ब्रितानिया हुकूमत से सत्ता छीन कर स्वराज की स्थापना कर लिया था, तो बलिया जिले पर पुनः ब्रिटिश साम्राज्य की सत्ता स्थापित करने के लिए कैप्टन मूर के नेतृत्व में पहुंची ब्रिटिश फौज के मशीन गन की गोलियों का प्रतिकार अपने लाठी और बांस की बनी खचिया से किया था। 25 अगस्त 1942 को चरौवां गांव में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए क्रांतिकारी मंगला सिंह, खर बियार, मकतुलिया मालिन, शिव शंकर सिंह शहीद हो गए। इस घटना के बाद कांग्रेस ने फिरोज गांधी के नेतृत्व में चरौंवा गांव में एक कमेटी भेजी थी। बताया जाता है कि गांव की हृदय विदारक स्थिति को देखकर फिरोज गांधी भी रो पड़े थे।