यूपी80 न्यूज, लखनऊ
इन दिनों उत्तर प्रदेश में पिछड़ों का सबसे बड़ा हितैषी बनने को लेकर राजनैतिक दलों में प्रतियोगिता चल रही है। सत्तासीन भाजपा और उसकी सहयोगी दलों से लेकर विपक्षी पार्टियां खुद को पिछड़ों का सबसे बड़ा शुभचिंतक साबित करने में जुटी हैं। लेकिन जमीन पर पिछड़ों की स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को बीते 10 महीने हो गए, लेकिन अब तक उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हुई। ऐसी स्थिति में आयोग में कामकाज ठप पड़ा हुआ है। पिछड़ों से संबंधित समस्याओं की सुनवाई जैसे महत्वपूर्ण कार्य भी ठप पड़े हुए हैं। ऐसी स्थिति में आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश में पिछड़ों की क्या स्थिति है।
सलेमपुर से पूर्व सांसद एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रमाशंकर राजभर कहते हैं कि यह सरकार ओबीसी के बच्चों को गुलाम बनाना चाहती है। ओबीसी को लाभांवित होने वाली किसी भी योजना के प्रति जानबूझकर सरकार उदासिन है और कानूनी पचड़े में डालकर उनको हक से वंचित करना है, आज के तीन साल पहले भारत सरकार ने भी बड़ी तत्परता दिखाई थी, लेकिन अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई। उत्तर प्रदेश आयोग बनाकर ओबीसी को गुमराह करते हैं और आयोग की फाइलों को ठंढे बस्ते में डालने का काम करते हैं। अब धीरे धीरे ओबीसी समाज भी जाग रहा है। जब ओबीसी जनगणना के लिए सरकार से सवाल होते हैं तो सरकारी पक्ष यह वितंडा खड़ा करता है कि ओबीसी के हक को केवल कुछ जातियां खा रही हैं, जबकि सही यह है कि देश की संपूर्ण संस्थाओं पर 20 परसेंट हिस्सा ही एससी-एसटी और ओबीसी को मिल रहा है, जबकि 80 परसेंट हिस्सा वितंडा खड़ा करने वाले लोग खा रहे हैं।
भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ.लौटन राम निषाद कहते हैं कि जसवंत सैनी के प्रदेश सरकार में मंत्री बनने के बाद 10 महीने से उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अध्यक्ष विहीन है। ऐसी स्थिति में पिछड़ों से संबंधित ज्वलंत समस्याओं की सुनवाई नहीं हो रही है। पिछले दिनों बलिया में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति का मामला हो अथवा पिछले सप्ताह वनस्पति विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति का मामला हो, इनमें ओबीसी अभ्यर्थियों को नजरअंदाज किया गया है और प्रदेश सरकार मूक दर्शक बनी रही है। सत्ता में बैठी भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियां पिछड़ों को गुमराह कर रही हैं।