यूपी 80 न्यूज़, बलिया
बेल्थरारोड नगर पंचायत के वार्ड नं 8 निवासी छेदी वर्मा पिछले 10 वर्ष से अपने पुत्र की राह देख रहे हैं। इस बीच पुत्र की आश लगाए बैठी उनकी पत्नी का भी एक वर्ष पूर्व स्वर्गवास हो चुका है। छेदी वर्मा न्याय के लिए उच्च अधिकारियों सहित मुख्यमंत्री का भी दरवाजा खटखटा चुके हैं। उनका कहना है कि मरते दम तक वह अपने पुत्र को प्राप्त करने के लिए लड़ते रहेंगे।
बता दें कि बेल्थरारोड निवासी छेदी वर्मा अपनी पत्नी व छः पुत्र/ पुत्रियों के साथ नगर के वार्ड नं 8 पश्चिम पोखरा के समीप रहते थे। वे अपने परिवार का पालन पोषण के लिए ट्रेन में मूंगफली बेचने का कार्य किया करते थे। उनकी 6 संतानों में सबसे बड़ी पुत्री पूजा वर्मा थी। उसके बाद अमर वर्मा, निशा, मनिषा, राधिका व सबसे छोटे पुत्र का नाम ज्वाला वर्मा है। अमर वर्मा पैदायशी मूक व बधिर था। 1 जनवरी सन् 2014 को ट्रेन में मूंगफली बेचने के लिए जाते समय अमन बेल्थरारोड में ही छूट गया। इस दौरान लोगों ने उसे दूसरी ट्रेन में बैठा दिया। इसके बाद से अमन लापता हो गया। छेदी व उसकी पत्नी संगीता ने उसे ढूंढने के लिए भटकते रहे। उभांव थाना में भी उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई गई। परन्तु उसका कुछ पता नहीं चला। इस दौरान तीन वर्ष बाद 10 जनवरी 17 को सिकन्दरपुर थाना क्षेत्र के बलुपुर गांव में एक किशोर दिखाई दिया। छेदी वर्मा का दावा था कि यह किशोर उसका बिछड़ा हुआ पुत्र अमर है। छेदी उक्त किशोर को अपने घर लाया। बेटे के मिलने की खुशी अभी पति पत्नी मना ही रहे थे कि 23 अप्रैल 2017 को गाजीपुर जिले के कासिमाबाद थाना क्षेत्र के रामगढ़ निवासी सूरज पुत्र सेठ राजभर ने उस पर अपना पुत्र होने का दावा ठोक दिया। उसके दावे के बाद किशोर को सीयर पुलिस चौकी ले जाया गया। जहां पुलिस ने दोनों पक्षों से पूछताछ के बाद उक्त किशोर को छेदी वर्मा को न देकर दूसरे पक्ष को सौंप दिया। इस प्रकरण से दु:खी छेदी वर्मा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की गई। उनके इस पत्र को संज्ञान में लेकर अधिकारियों ने उसे बाल सुधार गृह फेफना (बलिया) भेज दिया। 4 अगस्त 17 को अमर वर्मा/ मूसन राजभर के साथ छेदी वर्मा व उसकी पत्नी संगीता वर्मा एवं दूसरे दावेदार सूरज राजभर व प्रभावती देवी का डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल लिया गया। छेदी वर्मा का आरोप है कि बिना डीएनए टेस्ट के रिपोर्ट दिए ही उक्त बालक को राजनीतिक दबाव वश दूसरे पक्ष को सौंप दिया गया। अपने बेटे की राह देखते देखते संगीता वर्मा ने एक वर्ष पूर्व दम तोड़ दिया। छेदी वर्मा का कहना है कि अपने पुत्र को पाने के लिए वह अंतिम समय तक संघर्ष करते रहेंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री से बच्चे व अपना पुनः डीएनए जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि मेरे डीएनए टेस्ट फेल हो जाता है तो मुझे जेल में बंद कर दिया जाए।