लोकसभा चुनाव के समय रेल मंत्री ने 4 लाख नौकरियां देने का किया था वायदा
Indian Railways: Restrictions on Recruitment and Promotion of Privatization? Youth-Hallabol questions Piyush Goyal
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की वजह से जहां देश भर में पहले ही नौकरियों का संकट बढ़ गया है, वहीं भारतीय रेलवे के नए फैसला से यह संकट और गंभीर होने की संभावना बढ़ गई है। देश में सर्वाधिक नौकरियां सृजन करने वाले भारतीय रेलवे में सेफ्टी संबंधित पदों के अलावा अन्य सभी भर्तियों पर रोक लगाने की खबरें आ रही हैं। इसे लेकर युवा-हल्लाबोल ने केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर सवाल किया है।
युवा हल्लाबोल के संस्थापक अनुपम ने कहा है कि देश और दुनिया अब वायरस के कारण नई परिस्थितियों से जूझ रहा है। कोरोना काल के पहले ही देश में बेरोज़गारी चरम पर थी। और अब तो लॉकडाउन का सबसे बुरा असर रोज़गार पर ही पड़ा है। ऐसे वक्त में जब अर्थव्यवस्था में नौकरी और रोज़गार पाना कठिन हो गया है तब सरकार इसके उपाय ढूंढने की बजाए युवाओं के लिए नई मुश्किलें क्यों खड़ी कर रही है? एक तरफ रेल में निजीकरण की खबरें आ रही हैं तो दूसरी तरफ नौकरियों को खत्म किया जा रहा है? क्या आप नहीं मानते हैं कि कम से कम सरकारी क्षेत्र में तो इस कठिन दौर में रोज़गार में कोई कटौती नहीं होनी चाहिए? ऊपर से उन बेरोज़गार युवाओं के साथ तो हरगिज़ अन्याय नहीं होना चाहिए जो रेलवे में नौकरी के लिए आवेदन कर चुके हैं या परीक्षा दे चुके हैं या फिर परिणाम या नियुक्ति का इंतज़ार कर रहे हैं।

अधिसूचना जारी:
युवा हल्लाबोल का आरोप है कि 2 जुलाई 2020 को जारी की गई एक अधिसूचना के कारण रेलवे में नौकरी की आस देख रहे बेरोज़गार युवा असमंजस की स्थिति में हैं। रेलवे बोर्ड ने अपने इस पत्र में कई ऐसे फैसलों का उल्लेख किया है जिसका रेल भर्ती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। प्रतीत होता है कि सेफ्टी संबंधित पदों के अलावा अन्य सभी भर्तियों पर रोक लगा दी गयी है।
युवा-हल्लाबोल के सवाल:
क्या भारतीय रेलवे के माध्यम से की जाने वाली अधिकतर भर्तियों पर रोक लग गयी है?
पिछले दो साल में जो नए पदों के लिए परीक्षा या आवेदन लिए जा चुके हैं, क्या उनपर भी रोक लगेगी?
RRB NTPC यानी कि Non Technical Popular Category के 35 हज़ार पदों और ग्रुप-D के 1 लाख पदों के लिए वर्ष 2019 में जो 2.42 करोड़ छात्रों से आवेदन लिया गया है, उनका क्या होगा?
लोकसभा चुनाव से पहले 4 लाख नौकरियां देने का वादा:
अनुपम का कहना है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जब देश के युवा बेरोज़गारी के खिलाफ मुखर हो रहे थे, तब रेलवे के माध्यम से 4 लाख नौकरियां देने का वायदा किया गया। उसी वक्त रेलवे ने NTPC और फिर ग्रुप डी के पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन निकाले। लेकिन लोकसभा चुनाव सम्पन्न होते ही ये भर्ती प्रक्रिया आश्चर्यजनक ढंग से ठप सी हो गयी। शायद आपकी सरकार के लिए ये रेल भर्तियां प्राथमिकताओं में रहीं ही नहीं।