यूपी80 न्यूज, आजमगढ़
आजमगढ़ जनपद के अतरौलिया क्षेत्र में सूदखोरों से तंग व्यवसाई की आत्महत्या मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। अतरौलिया कस्बा निवासी अशोक बरनवाल ने सूदखोरों से पीड़ित होकर पिछले 19 अगस्त को फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। मृतक के परिजनों ने इस सम्बन्ध में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस की इस कार्रवाई से सूदखोरों में हड़कंप की स्थिति है।
आजमगढ़ के अतरौलिया कस्बा निवासी 45 वर्षीय व्यवसाई अशोक बरनवाल में पुलिस की विवेचना में यह तथ्य सामने आया है कि मृतक व्यवसाई ने कस्बे के विनोद कुमार सोनकर, भोराजपुर कला ग्राम निवासी शिवबचन यादव व ईटायल भवानीपुर ग्राम निवासी जितेंद्र सिंह उर्फ पप्पू से ब्याज पर रकम लिया था। ब्याज की रकम का भुगतान कर पाने में असमर्थता जताने पर सूदखोरों ने मृतक अशोक पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। जिससे परेशान अशोक ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। शनिवार को पुलिस ने आरोपियों के घर दबिश देकर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
बलिया के व्यवसायी नंदलाल गुप्ता आत्महत्या मामले में अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी को लिखा पत्र:
![व्यापारी](http://up80.online/wp-content/uploads/2023/02/व्यापारी-अधिकार-सेना-300x135.jpg)
अधिकार सेना Adhikar Sena के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर Amitabh Thakur ने व्यवसायी नंदलाल गुप्ता Nandlal Gupta suicide case की आत्महत्या मामले में पुलिस पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने जानबूझकर इस बात का इंतजार किया कि आरोपियों की जमानत हो जाए। उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया कि तमाम पुख्ता सबूत होने के बाद भी बलिया पुलिस ने ढीली पैरवी की।
अधिकार सेना की प्रवक्ता नूतन ठाकुर ने बताया कि अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी यूपी को पत्र भेजकर इस मामले में बलिया पुलिस पर अविश्वास जताते हुए मुकदमे की विवेचना बलिया से बाहर ट्रांसफर किए जाने की मांग की है।
बता दें कि दो महीने पहले बलिया जनपद में बंदूक व्यवसाई नंदलाल गुप्ता ने इसके चलते सोशल मीडिया पर लाइव आकर अपनी जान दे दी थी। उसके द्वारा ऐसा कृत्य करने के बाद बलिया में व्यापारियों ने इसका जमकर विरोध किया। व्यवसायियों के विरोध के चलते शासन प्रशासन भी सक्रिय हो गया तथा इस मामले से जुड़े आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों की मानें तो इस दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो भी सक्रिय रहा तथा उनके द्वारा सूदखोरों की लिस्ट भी बनाई गई। यहां तक कि अनेक क्षेत्रों के सूदखोर भूमिगत हो गए। आम आदमी को लगा कि अब पुलिस व प्रशासन का डंडा इनके विरुद्ध चलेगा। लेकिन बाद में कोर्ट से आरोपियों की जमानत मिलने पर लोगों में निराशा फैल गई। शासन के भय से भूमिगत सूदखोर भी फिर सक्रिय हो चले हैं।
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