लोजपा, जदयू, अपना दल (एस) को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है
लखनऊ, 25 दिसंबर
इस साल भारी बहुमत से केंद्र की सत्ता में आने के महज कुछ महीने बाद ही बीजेपी की लोकप्रियता में तेजी से गिरावट शुरू हो गई है। बीजेपी के हाथ से देश का सबसे बड़ा औद्योगिक राज्य महाराष्ट्र और खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड भी चले गयें। यदि समय रहते बीजेपी ने सहयोगी दलों का ख्याल नहीं रखा तो बिहार और उत्तर प्रदेश भी हाथ से जा सकता है। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के महासचिव केसी त्यागी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 96वीं जयंती की पूर्व संध्या पर इशारों-इशारों में यह बात कह दी है।
केसी त्यागी ने कहा है कि बीजेपी को अटल जी से गठबंधन धर्म सीखना चाहिए। झारखंड के नतीजे ने बता दिया कि सियासत में कोई बड़ा भाई छोटा भाई नहीं होता। बता दें कि झारखंड चुनाव के ऐन मौके पर बीजेपी की सहयोगी पार्टी आजसू अलग हो गई। इसके अलावा बिहार में बीजेपी की सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी एवं जनता दल यू ने झारखंड में अलग-अलग चुनाव लड़ा। चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी और जनता दल यू का खाता नहीं खुला, उधर आजूस 5 की जगह 2 सीटों पर ही सिमट गई, बावजूद इसके आजसू को चुनाव में 8 परसेंट वोट मिलें। दूसरी ओर बीजेपी महज 2 परसेंट वोट की कमी की वजह से झारखंड की सत्ता गवां दी।
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बता दें कि 2014 में ही रघुवर दास को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाए जाने पर नीतीश कुमार ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि आदिवासी बहुल राज्य में गैर आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाया जाना ठीक नहीं है।
बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना, झारखंड में आजसू अपने सहयोगी पार्टी बीजेपी से अलग हो गई हैं। यदि समय से बीजेपी ने सहयोगियों का ख्याल नहीं किया तो लोक जनशक्ति पार्टी, जनता दल यू और अपना दल (एस) जैसी पार्टियां भी अपना वजूद बचाने के लिए कोई और ठिकाना ढूंढ सकती हैं। खास यह है कि ये तीनों पार्टियां समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े गरीब, दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग, आदिवासियों की आवाज को संसद में उठाती रहती हैं।
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