1857 के सेनानायक अमर शहीद राजा जयलाल सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लखनऊ स्थित प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
आज के दिन याद करले प्यार से जयलाल को,
जिसने दी टक्कर मुकददस, हर फिरंगी चाल को,
उनके चरणों में चढ़ाए आज हम श्रद्धा सुमन
जिनने ऊंचा कर दिया मां भारती के भाल को।
(राजा बेनी माधव सिंह काव्य से)
अमर शहीद राजा जयलाल सिंह जी की जयंती के अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद अनुप्रिया पटेल ने लखनऊ स्थित राजा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण के पश्चात लोगों को संबोधित करते हुए इस कविता का उल्लेख किया। 1857 के इस रणबांकुरे को नमन करते हुए अनुप्रिया पटेल ने कहा कि देश की आन-बान-शान की रक्षा के लिए कुर्बान होने वाले क्रांतिकारियों की जब भी बात होगी, तो अमर शहीद राजा जयलाल सिंह का नाम फख्र से लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजा जयलाल सिंह के नाम पर भारत सरकार से डाक टिकट जारी करने के लिए मैंने अपना दल (एस) की तरफ से केंद्र की एनडीए सरकार से अनुरोध किया है। आशा है कि जल्द ही केंद्र सरकार राजा जयलाल सिंह के नाम पर डाक टिकट जारी करेगी।
अवध के नवाब के सिपहसलार राजा दर्शन सिंह के घर 31 मई 1803 को जन्मे राजा जयलाल सिंह अपने पिता की तरह ही शस्त्र और शास्त्र दोनों में पारंगत थे। राजा जयलाल सिंह की बहादुरी एवं ईमानदारी से प्रसन्न होकर नवाब ने उन्हें भी राजा की पदवी से नवाजा। ये राजा जयलाल सिंह की बहादुरी और कुशल रणकौशल का ही कमाल है कि अंग्रेजों को लखनऊ में कई लड़ाइयां हारनी पड़ी। चिनहट की प्रसिद्ध लड़ाई में तो कई अंग्रेज अफसर मारे गए। हालांकि इस लड़ाई में बहादुर क्रांतिकारी बाराबंकी के युवा राजा बलभद्र सिंह भी शहीद हो गए। प्रसिद्ध इतिहासकार श्री पीसी आजाद ने श्री पीसी आजाद ने अपनी पुस्तक ‘1857 की क्रांति और रूहेलखण्ड’ में लिखा है कि लखनऊ में रैजीडेंसी में 87 दिनों तक युद्ध होता रहा। जिसमें 400 अंग्रेज और 300 हिन्दुस्तानी सैनिक मारे गए। अंग्रेज लेखकों ने भी लिखा है, ‘वास्तव में क्रांति की इतनी अच्छी तैयारी कहीं नहीं थी जैसी अवध में। यह राजा जयलाल सिंह के युद्ध संचालन का कमाल था।’
राजा जयलाल सिंह ने अंतिम सांस तक अवध की रक्षा की। अंत में एक देशद्रोही की मुखबीरी की वजह से राजा जयलाल सिंह को अंग्रेजों ने पकड़ कर उन्हें फांसी दे दी। जुलाई 1857 में राजा जयलाल सिंह को अंग्रेजों ने बंदी बना लिया और उन्हें फांसी की सजा सुना दी।
अंग्रेजों ने 1 अक्टूबर 1859 को राजा जयलाल सिंह को उसी स्थान पर लाया, जहां 24 सितंबर 1857 को राजा की सेना ने अंग्रेजों की सामूहिक कत्लेआम किया था। राजा जयलाल सिंह की शहादत पर लखनऊ रो रहा था।
इस अवसर पर अपना दल (एस) के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ओपी कटियार, दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री रेखा पटेल, दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री राम लखन पटेल, राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेश पटेल, लखनऊ विकास प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी डीएम कटियार, पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राघवेंद्र प्रताप सिंह, विधि मंच के राष्ट्रीय महासचिव कुलदीप वर्मा, बृजलाल लोधी, प्रमोद पटेल, नंद किशोर पटेल, जिलाध्यक्ष शैलेंद्र पटेल ऊर्फ पोनू पटेल, महानगर अध्यक्ष महेश वर्मा, पवन पटेल, हरीशंकर पटेल, अनिल पटेल, दिनेश सचान, अरुण सचान, दीपक सिंह, अनिमेष पटेल, हरिश्चंद्र पटेल, विनय वर्मा इत्यादि लोग उपस्थित थे।