यूपी80 न्यूज, लखनऊ
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं ने आज प्रदेश के जनपदों एवं परियोजना मुख्यालयों पर विरोध सभा की और कार्य के दौरान पूरे दिन काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज किया।
संघर्ष समिति ने कहा है कि बिजली के निजीकरण हेतु टेंडर नोटिस प्रकाशित होने के बाद से ही बिजली कर्मचारियों में लगातार गुस्सा बढ़ रहा है और वे अपना आक्रोश प्रदर्शित करने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं। काली पट्टी बांधकर विरोध का अभियान 18 जनवरी तक चलेगा।18 जनवरी को आगे के कार्यक्रम घोषित किए जाएंगे।
आज लखनऊ के अलावा वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंद शहर, नोएडा, मुरादाबाद, आगरा, अलीगढ़, कानपुर, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, जवाहरपुर, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में बड़ी सभाएं हुईं।
लखनऊ में रेजिडेंसी, तालकटोरा, मध्यांचल मुख्यालय, पारेषण भवन, एसएलडीसी और शक्ति भवन पर विरोध सभा आयोजित की गई। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय एवं राम निवास त्यागी ने कहा कि निजीकरण हेतु जारी किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट में सारी शर्तें कर्मचारियों के विरोध में लिखी हुई हैं। कर्मचारियों को निजीकरण के बाद निजी घरानों के रहमों-करम पर छोड़ दिया जाएगा।
संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण का मतलब होगा 50000 संविदा कर्मचारियों की नौकरी जाना और 26000 नियमित कर्मचारियों की छटनी। निजीकरण के विरोध को दबाने के लिए संविदा कर्मियों को हटाने, नियमित कर्मचारियों को निलंबित करने जैसे अवैधानिक कार्य पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा किए जा रहे हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि यदि प्रबंधन यह समझता है कि बिजली कर्मियों को डराकर निजीकरण थोपा जा सकता है तो यह प्रबंधन की गलत फहमी है। बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे और निजीकरण वापस होने तक आन्दोलन जारी रहेगा।
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