रूलिंग पार्टी फायदे में होगी या विपक्ष, कोई सटीक फार्मूला नही
यूपी 80 न्यूज़, लखनऊ
क्या ड्रीम गर्ल के नाम से मशहूर हेमा मालिनी का क्रेज अब खत्म हो रहा है? लोक सभा चुनाव में मथुरा में डाले गए वोटों से कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। लोक सभा चुनाव के दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर हुए मतदान प्रतिशत के मामले में मथुरा का सबसे खराब प्रदर्शन है। 2019 की अपेक्षा इस बार मथुरा में 13% कम वोट डाले गए। गौरतलब है कि मथुरा से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर हेमा मालिनी चुनाव लड़ रही हैं। उन्हें तीसरी बार उम्मीदवार घोषित किया गया है।
मथुरा में इस बार मात्र 49.29% वोट डाले गए, जबकि 2019 में यहाँ पर 61.08 % मतदान हुए थे। वोट% में हुए भारी गिरावट से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बसंती का जलवा खत्म हो रहा है। खेतों में महिला किसानों के साथ गेहूं की फ़सल की कटाई के वीडियो का भी कोई खास असर नहीं दिखा।
दूसरे फेज में यूपी की 8 सीटों पर वोटिंग हुई। उत्तर प्रदेश में कुल 54 फीसदी के आसपास वोटिंग हुई। अमरोहा में सबसे ज्यादा 62 परसेंट वोटिंग हुई है जबकि 2019 के इलेक्शन में इस सीट पर 71 फीसदी वोटिंग हुई थी।मथुरा में पिछले चुनाव में 61 परसेंट मतदान हुआ था, लेकिन इस बार 47 प्रतिशत वोटिंग हुई।कम वोटिंग ट्रेंड ठीक नहीं, यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अनुचित है।
लोकसभा चुनाव के लिए पहले और दूसरे फेज का मतदान हो गया है। इस बीच कम वोटिंग टर्न आउट या कम वोटिंग ट्रेंड को लेकर नई बहस और सियासी गुणा गणित का दौर शुरू हो गया है। किसे फायदा और किसे होगा नुकसान, लोग मंथन कर रहे हैं।19 अप्रैल को पहले फेज की 102 सीटों पर हुई वोटिंग में करीब 63 फीसदी वोट पड़े, जबकि इन्हीं सीटों पर 2019 के आम चुनाव में 66.44 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। 26 अप्रैल को 12 राज्यों की 88 सीटों पर मतदान हुआ। दूसरे फेज में 63 फीसदी मतदाताओं ने ही मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि 2019 में इन्हीं सीटों पर 70.05 प्रतिशत लोगों ने बढ़-चढ़कर वोट किया था। दूसरे फेज में त्रिपुरा में सबसे ज्यादा 78.63 प्रतिशत वोटिंग हुई। महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश में सबसे कम 54 फीसदी के आसपास मतदान हुआ। असम में 70.68 प्रतिशत लोगों ने घरों से निकलकर वोट डाला। छत्तीसगढ़ में 73.05 परसेंट वोटिंग हुई। जम्मू कश्मीर में 71.63 परसेंट लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। कर्नाटक और केरल में क्रमश: 67 परसेंट और 65.28 प्रतिशत वोटिंग हुई। मध्य प्रदेश में 56.60 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला। पश्चिम बंगाल में 71.84 परसेंट लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। राजस्थान में 63.74 प्रतिशत, मणिपुर में 77.18 परसेंट लोगों ने वोटिंग की। ये प्रोविजनल आंकड़े हैं, इनमें अपडेशन हो सकता है। त्रिपुरा पूर्व सीट पर सबसे ज्यादा 78.1 फीसदी वोटिंग हुई, जबकि मध्य प्रदेश की रीवा सीट पर 45.9 फीसदी मतदान हुआ। कम वोटिंग की वजह गर्म मौसम और हीटवेव की मार, वोटर्स में कम उत्साह या सरकार के प्रति उदासीनता हो सकती है। कम वोटिंग टर्न आउट अच्छी बात नहीं है। इसका मतलब लोकसभा चुनाव को लेकर वोटरों में कुछ उदासीनता है।
अगर 2019 के आम चुनावों से तुलना करें, तो उदासीनता साफ है। कम वोटिंग से किसे इलेक्टोरल गेन मिलेगा और किसका लॉस होगा, वास्तव में इसका कोई हिसाब नहीं होता है। कई बार वोटिंग टर्न आउट गिरता है फिर भी सरकारें जीत कर आती हैं। कई बार वोटिंग टर्न आउट कम होने से सरकारें हारती भी हैं । बीते 17 लोकसभा चुनावों में वोटिंग ट्रेंड देखें तो 5 बार मतदान घटा है और 4 बार सरकार बदल गई। 7 बार मतदान बढ़ा, तो 4 बार सरकार बदली। अभी तक ऐसा होता रहा है कि जो पार्टी सत्ता में होती है, उसके प्रति चुनाव में मतदाताओं का उत्साह कुछ कम रहता है, जिसका ज्यादा रुतबा दिखता है, मतदाता उसके पक्ष में मतदान ज्यादा करते हैं। लेकिन पिछले कुछ चुनावों से ऐसा नहीं हो रहा है,ये कोई जरूरी नहीं।