प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में 150 स्थानों पर किसानों ने हाईवे जाम किया
योगी सरकार से मांग- 450 रुपए प्रति क्विंटल हो गन्ने की कीमत
लखनऊ, 11 नवंबर
गन्ने की मूल्य वृद्धि को लेकर किसान एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं। बुधवार को भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर किसानों ने प्रदेश के विभिन्न राजमार्गों पर 150 से अधिक स्थानों पर चक्का जाम किया। किसानों ने उत्तर प्रदेश सरकार को 21 दिसंबर तक का गन्ने का मूल्य बढ़ाकर 450 रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग की है। किसानों ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि गन्ने की कीमत में वृद्धि नहीं की गई तो 21 दिसंबर को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेतृत्व किसान कब्जा करेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशव्यापी चक्का जाम के आह्वान पर मुजफ्फरनगर में धीरज लाटियन के नेतृत्व में 14 जगहों पर, बिजनौर में दिगंबर सिंह के नेतृत्व में 40 स्थानों पर हाईवे चक्का जाम किया गया। अमरोहा में उमेद सिंह के नेतृत्व में, संभल में शंकर सिंह के नेतृत्व में, मुरादाबाद में डॉ.नौसिंह,हापुड़ में सतवीर सिंह के नेतृत्व में 6 स्थानों पर, सहारनपुर में विनय कुमार के नेतृत्व में 8 स्थानों पर, बुलंदशहर में गुड्डू प्रधान के नेतृत्व में 9 जगहों पर, शामली में कपिल खटियान के नेतृत्व में, तीन जगहों पर चक्का जाम किया गया। फैजाबाद में 4 स्थानों पर, मेरठ में नरेश चौधरी के नेतृत्व में 8 स्थानों पर, गाजियाबाद में विजेंद्र सिंह के नेतृत्व में मोदी नगर में जाम किया गया।
इसी तरह रामपुर में जिलाध्यक्ष हसीब के नेतृत्व में जाम किया गया। पुलिस ने हसीब को हिरासत में ले लिया, लेकिन किसानों के विरोध की वजह से उन्हें छोड़ना पड़ा। नोएडा में पवन खटाना के नेतृत्व में, शाहजहांपुर में सरदार अजीत सिंह के नेतृत्व में, लखीमपुर खीरी में बाबा सर्वजीत सिंह के नेतृत्व में, लखनऊ में हरनाम सिंह के नेतृत्व में गन्ना जलाकर विरोध दर्ज कराया गया। सीतापुर में उमेश पांडेय के नेतृत्व में लाल चौक पर जाम किया गया।
यह भी पढ़िए: भगवान बुद्ध के संदेशों पर आधारित है ‘भारतीय संविधान’
बागपत में प्रताप चौधरी, के नेतृत्व में पांच स्थानों पर जाम लगाया गया। अलीगढ़ में विमल तोमर के नेतृत्व में पांच स्थानों पर, मथुरा में राजकुमार तोमर के नेतृत्व में मथुरा रोड पर जाम लगाकर विरोध जताया गया।
तीन साल से नहीं बढ़ी गन्ने की कीमत:
किसान नेता हरनाम सिंह का कहना है कि पिछले तीन सालों से गन्ने की कीमत नहीं बढ़ी, जबकि पिछले तीन सालों में महंगाई दो गुना बढ़ गई। खाद से लेकर बिजली दरें, डीजल, दवाओं की कीमतों में काफी वृद्धि हो गई है। सरकार लगातार किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है।