सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में ही मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया
नई दिल्ली, 9 नवंबर
491 साल पुराने अयोध्या में राम जन्मभूमि एवं बाबरी मस्जिद विवाद मामले में शनिवार को उच्चतम न्यायालय की 5 सदस्यीय संवैधानिक बैंच ने अपना फैसला सुना दिया। उच्चतम न्यायालय ने विवादितत स्थल (2.77 एकड़) को राम जन्मभूमि न्यास को देने का फैसला सुनाया है, जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह फैसला किसी आस्था की बजाय तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर दिया गया है। अदालत ने माना है कि अंग्रेजों के आने से पहले हिंदुओं द्वारा द्वारा सीता रसोई और राम चबूतरा पर पूजा की जाती थी।
यह भी पढ़िए: ब्रिटानिया हुकूमत के खिलाफ एकजुटता के लिए तिलक ने गणपति पूजा की परंपरा शुरू की
उच्चतम न्यायालय के फैसले को ऐसे समझे:
1.विवादित स्थल रामजन्मभूमि न्यास को देने का आदेश
2.मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही विवादित जमीन से अलग विकल्प के तौर पर 5 एकड़ जमीन दी जाएगी।
3.उच्चतम न्यायालय ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि मुख्य ढांचा इस्लामी संरचना नहीं थी। हालांकि अदालत का यह भी कहना है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की पुख्ता जानकारी नहीं है।
यह भी पढ़िए: अर्जुन सिंह के विशेष प्रयास से उच्च शिक्षण संस्थानों में लागू हुआ ओबीसी आरक्षण
4.ट्रस्ट के जरिए राम मंदिर का होगा निर्माण:
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि राम मंदिर के निर्माण के लिए अगले तीन महीने में केंद्र सरकार ट्रस्ट का गठन करे। ट्रस्ट के जरिए ही राम मंदिर की निगरानी की जाएगी।
5.उच्चतम न्यायालय ने निर्मोही अखाड़े व शिया वक्फ बोर्ड की याचिकाएं खारिज कर दी है।
6.मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि 1949 में विवादित स्थल पर मूर्तियां रखी गईं।