कृषि कानूनों की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा: भाकियू
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसानों का ‘भारत बंद’ सफल रहा। संयुक्त किसान मोर्चा ने शांतिपूर्ण सफल ‘भारत बंद’ पर देशवासियों को बधाई दी है। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए किसानों-मजदूरों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों की वापसी, न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी तक आंदोलन जारी रहेगा।

बता दें कि भारत बंद को समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, युवा हल्ला बोल सहित कई राजनैतिक पार्टियों एवं सामाजिक संगठनों ने समर्थन किया है।
देश के सभी राज्यों में ‘भारत बंद’ को समर्थन मिला है। पंजाब में 500 से अधिक स्थानों पर लोगों ने भारत बंद को समर्थन दिया। केरल, पंजाब, हरियाणा, झारखंड और बिहार जैसे कई राज्यों में जनजीवन लगभग ठप हो गया। दक्षिणी असम, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में अनेकों विरोध-प्रदर्शन हुए।

‘भारत बंद’ में अनेक व्यापारी संगठन, व्यापारी और ट्रांसपोर्टर संघ, छात्र और युवा संगठन, महिला संगठन, टैक्सी और ऑटो यूनियन, शिक्षक और वकील संघ, पत्रकार संघ, लेखक और कलाकार, महिला संगठन और अन्य प्रगतिशील समूह इस बंद में देश के किसानों के साथ मजबूती से खड़े थे।
किसानों के भारत बंद का सोनभद्र के वकीलों ने किया समर्थन:

उधर, किसान संगठनों के भारत बंद का असर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में भी देखने को मिला। सोमवार को वकीलों ने राबर्ट्सगंज कचहरी परिसर में विरोध-प्रदर्शन किया। साथ ही न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया। सोनभद्र बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश द्विवेदी एडवोकेट ने कहा कि हम अधिवक्ता होने के साथ ही एक किसान भी हैं। इसलिए हमारा दायित्व बनता है कि किसानों (अन्नदाता) के जायज मांगों के लिए एक दिन के भारत बंद का पुरजोर समर्थन किया जाए। एसबीए के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट भोला सिंह यादव एवं पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट अमरनाथ मिश्रा ने कहा कि वकील के साथ ही किसान होने के नाते जायज मांगों के लिए समर्थन जरूरी था। वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश देव पांडेय ने कहा कि जब-जब कोई आंदोलन हुआ है और उसमें अधिवक्ताओं का समर्थन रहा है तो सफलता जरूर मिलती है। एसबीए महामंत्री सत्यदेव पांडेय एडवोकेट ने कहा कि किसानों की जायज मांगें सरकार को माननी पड़ेगी। विरोध-प्रदर्शन करने वालों में सुधाकर मिश्र, जगजीवन सिंह, हीरालाल पटेल, गोविंद मिश्र, कमलेश पांडेय, महेंद्र सिंह, आनन्द ओझा आदि अधिवक्ता शामिल रहे।