भाजपा शीर्ष नेतृत्व जल्द लेगा फैसला
लखनऊ, 8 जुलाई
भाजपा के झंडाबरदार नेता स्वतंत्रदेव सिंह का ‘प्रमोशन’ होगा या योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा का ‘डिमोशन’ होगा। इन दिनों सत्ता के गलियारों में ये चर्चा का विषय बना हुआ है। चूंकि अगले कुछ दिनों में योगी कैबिनेट का विस्तार होने वाला है। तो लाजमी है कि चर्चा में ये दोनों पिछड़े नेता भी शामिल हैं।
बता दें कि योगी सरकार के तीन कैबिनेट मंत्रियों के सांसद बनने और सुहलदेव भारत समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की बर्खास्तगी के बाद मंत्रिमंडल में चार महत्वपूर्ण पद रिक्त हो गए हैं। वैसे भी योगी सरकार में आवश्यकता के मुताबिक मंत्रियों की संख्या (43) काफी कम है। ऐसे में माना जा रहा है कि योगी कैबिनेट का विस्तार कभी भी हो सकता है।
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चूंकि इस चर्चा में स्वतंत्रदेव सिंह और मुकुट बिहारी वर्मा के शामिल होने के कई कारण है। बता दें कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.महेंद्र नाथ पांडेय मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बन गए हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ेगा। चूंकि भाजपा शीर्ष नेतृत्व प्रदेश के किसी पिछड़ा नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहता है। ऐसे में स्वतंत्रदेव सिंह का नाम सबसे आगे हैं। स्वतंत्रदेव सिंह को फिलहाल संगठन का सबसे मजबूत नेता माना जाता है। साथ ही वह पिछड़ा वर्ग (कुर्मी) से आते हैं। स्वतंत्रदेव सिंह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ का करीबी भी माना जाता है। चर्चा यह भी है कि यदि स्वतंत्रदेव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया जाता है तो इन्हें स्वतंत्र प्रभार से प्रमोशन देते हुए योगी कैबिनेट में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है।
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दूसरी ओर, पार्टी के एक और कद्दावर नेता मुकुट बिहारी वर्मा हैं। मुकुट बिहारी वर्मा फिलहाल योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। कुर्मी समाज से आने एवं तराई क्षेत्र में अच्छी पकड़ की वजह से मुकुट बिहारी वर्मा का कद काफी बड़ा माना जाता है, लेकिन हालही में संपन्न लोकसभा चुनाव में मुकुट बिहारी वर्मा अंबेडकर नगर लोकसभा क्षेत्र से 95880 वोटों से चुनाव हार गए। चूंकि अंबेडकर नगर संसदीय क्षेत्र कुर्मी बहुल इलाका है, बावजूद इसके यहां से मुकुट बिहारी वर्मा बसपा उम्मीदवार से चुनाव हार गए। ऐसे में उनकी साख पर बट्टा लगना स्वाभाविक है। बताया जा रहा है कि अंबेडकर नगर में स्थानीय नेताओं ने मुकुट बिहारी वर्मा का साथ नहीं दिया। उन्होंने भीतरघात किया। जिसकी वजह से मुकुट बिहारी को हार का स्वाद चखना पड़ा। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि मुकुट बिहारी वर्मा की स्थिति ज्यों की त्यों रहती है या उनका डिमोशन होगा ! हालांकि मुकुट बिहारी वर्मा बहराइच से हैं और वहां का भाजपा प्रत्याशी लोकसभा चुनाव जीत गया है। अत: किसी भी निर्णय से पहले शीर्ष नेतृत्व सभी विषयों पर विचार कर रहा है।
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