ओबीसी (पटेलों) व दलितों में आजसू की अच्छी पैठ, 8 परसेंट वोट मिलें
बलिराम सिंह, 24 दिसंबर
लंका पर चढ़ाई के दौरान समुंद्र पर पुल के निर्माण एक गिलहरी के प्रतिभाग किए जाने पर भगवान राम ने रामचरित मानस में कहा है कि समाज में हर वर्ग- हर व्यक्ति, हर जीव की वैल्यू होती है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उसका सम्मान होना चाहिए। लेकिन शायद भारतीय जनता पार्टी इस महत्वपूर्ण बात को भूल गई है और अपने सहयोगियों को लगातार को किनारे करने की रणनीति पर चल रही है। इसी वजह से उसे लगातार हार का स्वाद चखना पड़ रहा है। झारखंड में बीजेपी ने सहयोगी पार्टी आजसू को ऐसा नाराज किया कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी की लुटिया डूब गई। मुख्यमंत्री रघुवर दास सहित पांच वरिष्ठ मंत्रियों को हार का स्वाद चखना पड़ा।
बता दें कि विधानसभा चुनाव के ऐन मौके पर भाजपा से उसकी सहयोगी पार्टी आजसू अलग हो गई। चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा 33.4 परसेंट वोट मिला है। जबकि उसकी सहयोगी पार्टी रही आजसू को 8.02 परसेंट वोट मिला। यदि दोनों पार्टियां एकजुट होकर चुनाव लड़ी होती तो गठबंधन से काफी आगे होतीं। इन्हें कुल 41.42 परसेंट वोट मिला होता।
उधर, गठबंधन के तहत झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) को 18.85 परसेंट, कांग्रेस को 13.8 परसेंट और लालू यादव की पार्टी राजद को 2.76 परसेंट वोट मिला है। अर्थात इन तीनों दलों को कुल 35.41 परसेंट वोट मिला है। यदि बीजेपी को 3 परसेंट ज्यादा वोट मिलता तो बीजेपी एक बार फिर सत्ता के सिंहासन पर होती, लेकिन बीजेपी का एकला चलो और सहयोगियों को नजरअंदाज करना भारी पड़ गया। अन्य दलों एवं निर्दलीय प्रत्याशियों को 23.17 परसेंट वोट मिला है।
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बता दें कि आजसू की पिछड़ों और दलितों के बीच अच्छी पैठ है। प्रदेश में कुर्मि समाज (पटेल, महतो) की आबादी काफी तादाद में है। आजसू को इनका अच्छा समर्थन मिलता है। आजसू के मुखिया सुदेश महतो इसी समाज से आते हैं। आजसू की वजह से इस बार के चुनाव में सभी दलों ने ओबीसी आरक्षण के समर्थन में आवाज उठायी। इस चुनाव में भले ही आजसू को काफी झटका लगा है और वह महज 2 सीटों पर ही सिमट गई है, लेकिन बीजेपी से आजसू का अलग होने का सबसे बड़ा झटका बीजेपी को लगा है। बीजेपी की बुरी तरह से पराजय हुई है और सत्ता से बाहर हो गई है। मुख्यमंत्री रघुबर दास के अलावा विधानसभा अध्यक्ष डॉ.दिनेश उरांव, मंत्री लुईस मरांडी, राज पालिवार, रामचंद्र साहिस, नीरा यादव भी चुनाव हार गए।
लखनऊ हाई कोर्ट के अधिवक्ता एवं सामाजिक जानकार नंदकिशोर पटेल कहते हैं कि राष्ट्र के निर्माण में क्षेत्रीय दलों की भी अतुलनीय भूमिका होती है। क्षेत्रीय असंतुलन की वजह से इन दलों का उभार हुआ है। पटेल कहते हैं कि अहंकार की वजह से बीजेपी अपने सहयोगी दलों को लगातार नजरअंदाज कर रही है और इसी वजह से उसे लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है।
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गठबंधन (झामुमो, कांग्रेस, राजद) को प्राप्त सीटें:
झामुमो : 30
कांग्रेस : 16
राजद : 1
कुल : 47 , बहुमत के लिए 41 सीटें चाहिए
भाजपा : 25
आजसू : 2
अन्य : 7
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