राजनीति में गिरते भाषायी स्तर पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने जतायी चिंता
यूपी80 न्यूज, बलिया
भारतीय राजनीति एवं लोकतंत्र में भाषा की मर्यादा ही एक मुख्यमंत्री की असली पहचान होती है। ‘उपचार’ और ‘इलाज’ जैसे शब्दों का प्रयोग न्यायपालिका के कार्यक्षेत्र में आता है, न कि राजनीतिक भाषणों में। हमें नफरत की नहीं, बल्कि विकास और सौहार्द की बात करनी चाहिए ताकि बरेली ही नहीं, पूरा उत्तर प्रदेश अमन-चैन से रह सके।” राजनीति में गिरते भाषायी स्तर पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं सपा के वरिष्ठ नेता रामगोविंद चौधरी ने कहा है।
राम गोविंद चौधरी ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि जब सरकार विकास, बेरोजगारी और महंगाई के मोर्चे पर विफल होने लगती है, तो अक्सर ‘बरेली’ और ‘मौलाना’ जैसे शब्द ढाल बना लिए जाते हैं।
जनता को डराने की बजाय अगर जनता की समस्याओं का ‘उपचार’ किया होता, तो आज प्रदेश की तस्वीर कुछ और होती। नफरत बांटने से पेट नहीं भरता साहब!”
बरेली का सुरमा मशहूर है, नफरत नहीं। दंगाइयों का उपचार कानून की किताबों में लिखा है, उसे राजनीतिक मंचों से तमाशा बनाने की जरूरत नहीं है। आइए, एक ऐसे प्रदेश का निर्माण करें जहाँ किसी को ‘उपचार’ की धमकी न देनी पड़े, बल्कि सबको साथ लेकर चलने का संकल्प हो।”











