यूपी80 न्यूज, लखनऊ
उत्तर प्रदेश पुलिस UP police कुछ पदों के लिए आउटसोर्सिंग Outsourcing भर्ती करने वाली है। यह जानकारी जब एक पत्र के जरिए सोशल मीडिया पर वायरल हुई और कुछ वक़्त बाद पत्र को निरस्त कर दिया गया तो हड़कंप मच गया। सवाल उठे और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया शुरू हो गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ Yogi Adityanath इस मामले को लेकर खासे नाराज हैं।
कहते हैं कि डीजीपी प्रशांत कुमार ने इस मामले को लेकर सफाई दी है और कहा है कि पत्र त्रुटिवश जारी हो गया था। डीजीपी ने कहा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से पहले से लिया जा रहा है, लेकिन गलती से यह मिनिस्टीरियल स्टाफ के नाम से जारी हो गया। इसे निरस्त कर दिया गया है और ऐसा आदेश अमल में नहीं लाया जा रहा है। पत्र पुलिस कमिश्नर, आईजी रेंज, एडीजी जोन, पुलिस अधीक्षकों के नाम जारी हुआ था, जिसमें लिखा था कि पुलिस विभाग आउटसोर्सिंग के जरिए कई पद भरने वाला है।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग की व्यवस्था पूर्व से प्रचलित है। त्रुटिवश चतुर्थ कर्मचारियों के स्थान पर मिनिस्टीरियल स्टॉफ के लिए जारी पत्र को निरस्त कर दिया गया है।
इस प्रकार का कोई भी प्रकरण पुलिस विभाग एवं शासन स्तर पर विचाराधीन नही है।#UPPolice pic.twitter.com/aRqa7Nh0YF— UP POLICE (@Uppolice) June 12, 2024
जब पत्र जारी होकर निरस्त हुआ तो युवाओं में खासा असंतोष बना और सोशल मीडिया पर लिखा गया कि अगर पत्र गलती से जारी हुआ तो कार्रवाई क्यों नहीं ? मामले को लेकर कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाराज हैं और यूपी पुलिस के अफसरों पर इसकी गाज गिर सकती है। उत्तर प्रदेश पुलिस की इस गलती से युवाओं में गुस्सा बढ़ सकता है। सर्कुलर वायरल हुआ तो जॉब को लेकर चर्चा चल पड़ी, लेकिन अचानक निरस्तीकरण की खबर से अब युवाओं में नाराजगी बन सकती है। यूपी पुलिस ने कहा है कि इस तरह का आदेश शासन के अधीन विचार में नहीं है।
अखिलेश यादव ने की तीखी टिप्पणी:
समाजवादी पार्टी के प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मामले में तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है,
“उप्र में भाजपा सरकार ने ‘पुलिस व्यवस्था’ के प्रति लापरवाही भरा नज़रिया अपना रखा है, जिसकी वजह से अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। एक-के-बाद-एक कार्यवाहक डीजीपी के बाद अब कुछ ‘पुलिस सेवाओं की आउटसोर्सिंग’ पर विचार किया जा रहा है। ठेके पर पुलिस होगी तो, न ही उसकी कोई जवाबदेही होगी, न ही गोपनीय और संवेदनशील सूचनाओं को बाहर जाने से रोका जा सकेगा। भाजपा सरकार जवाब दे कि जब पुलिस का अपना भर्ती बोर्ड है तो बाक़ायदा सीधी स्थायी नियुक्ति से सरकार भाग क्यों रही है?
उप्र में भाजपा सरकार ने ‘पुलिस व्यवस्था’ के प्रति लापरवाही भरा नज़रिया अपना रखा है, जिसकी वजह से अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। एक-के-बाद-एक कार्यवाहक डीजीपी के बाद अब कुछ ‘पुलिस सेवाओं की आउटसोर्सिंग’ पर विचार किया जा रहा है। ठेके पर पुलिस होगी तो, न ही उसकी कोई जवाबदेही होगी, न… pic.twitter.com/Auh4hrnUQh
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) June 13, 2024
पुलिस सेवा में भर्ती के इच्छुक युवाओं की ये आशंका है कि इसके पीछे आउटसोर्सिंग का माध्यम बननेवाली कंपनियों से ‘काम के बदले पैसा’ लेने की योजना हो सकती है क्योंकि सरकारी विभाग से तो इस तरह पिछले दरवाज़े से ‘पैसा वसूली’ संभव नहीं है। अपने आरोप के आधार के रूप में वो कोरोना वैक्सीन बनानेवाली प्राइवेट कंपनी का उदाहरण दे रहे हैं, जिसे भाजपा ने नियम विरूद्ध जाते हुए, वैक्सीन बनानेवाली एक सरकारी कंपनी के होते हुए भी, वैक्सीन बनाने का ठेका दिया और उससे चंदा वसूली की।
पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक से आक्रोशित युवाओं में इस तरह की ‘पुलिस सेवा की आउटसोर्सिंग’ की ख़बर से और भी उबाल आ गया है। आउटसोर्सिंग का ये विचार तत्काल त्यागा जाए और उप्र के युवाओं को नियमित, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सीधी नियुक्ति प्रक्रिया के माध्यम से नौकरी दी जाए।
भाजपा कहीं किसी दिन ‘सरकार’ ही आउटसोर्स न कर दे।”












