उद्धव ठाकरे प्राईवेट सेक्टर में मराठी युवकों को देंगे 80 परसेंट रोजगार
नई दिल्ली, 5 दिसंबर
क्या महाराष्ट्र में नौकरी करने वाले यूपी-बिहार के लोगों को एक बार परेशानियों का सामना करना पड़ेगा? क्या यूपी-बिहार वालों को रोजगार के लिए मुंबई की बजाय किसी और राज्य और शहर का रूख करना पड़ेगा? इन दिनों महाराष्ट्र में नौकरी करने वाले यूपी-बिहार के लोगों में कुछ इसी तरह के सवाल घूम रहे हैं। चूंकि शिवसेना के मुखिया उद्धव ठाकरे की अगुवाई शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत निजी सेक्टर में 80 परसेंट रोजगार महाराष्ट्र के लोगों को देने की बात की जा रही है।
यदि महाराष्ट्र में निजी क्षेत्र में 80 परसेंट नौकरियां स्थानीय लोगों को दी जाएगी, इस बाबत कानून बनाया जाता है तो आने वाले समय में उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूरों एवं युवकों को खासा दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। चूंकि उत्तर प्रदेश एवं बिहार कृषि प्रधान राज्य हैं। यहां पर औद्योगिक इकाईयां नाम मात्र हैं। पिछले 40 सालों के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश के अधिकांश युवाओं ने रोजगार की तलाश में मुंबई का रूख किया।
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उत्तर प्रदेश की लगभग 60 परसेंट से ज्यादा आबादी पूर्वांचल में निवास करती है, लेकिन रोजगार न होने की वजह से यहां के युवाओं को पलायन का दंश झेलना पड़ता है। ऐसे में यदि महाराष्ट्र में स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए विशेष कानून बनाए जाने पर यूपी-बिहार में समस्याएं और बढ़ सकती हैं। कानून-व्यवस्था खराब हो सकती है।
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