कर्नाटक के मल्लिकार्जुन खड़गे 9 बार विधायक, 2 बार सांसद व वर्तमान राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
बाबू जगजीवन राम के बाद 51 वर्ष बाद दलित समाज से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। सचिन पायलट से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रार की वजह से अचानक कर्नाटक से आने वाले दलित नेता, 9 बार के विधायक व 2 बार के लोकसभा सांसद व वर्तमान में राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आया तो जी-23 के नाराज सदस्य भी उनके साथ खड़े हो गए। अगर खड़गे अध्यक्ष पद का चुनाव जीतते हैं तो बाबू जगजीवन राम के बाद 51 वर्ष बाद कांग्रेस के दूसरे दलित वर्ग के अध्यक्ष होंगे।
मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक सरकार में गृहमंत्री, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष, विधायक दल के नेता, केन्द्र सरकार में मंत्री, 2009 से 2019 तक लोकसभा सांसद, लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता भी रह चुके हैं। जब से चुनाव लड़ना शुरू किए है, बस एक बार 2019 में लोकसभा चुनाव में इन्हें हार मिली है।
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में नामांकन के आखिरी दिन गांधी परिवार के भरोसेमंद मल्लिकार्जुन खड़गे ने वाइल्ड कार्ड एंट्री मारी। गुरुवार देर रात तक सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के बीच नए अध्यक्ष को लेकर मीटिंग हुई, जिसके बाद शुक्रवार सुबह खड़गे को 10 जनपथ पर बुलाया गया था।
गांधी परिवार के बैकडोर सपोर्ट की वजह से खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। सब कुछ सही रहा तो मजदूर आंदोलन से कैरियर की शुरुआत करने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की कमान संभाल सकते हैं। इससे पहले जगजीवन राम 1970-71 में कांग्रेस के अध्यक्ष थे।
खड़गे को 1969 में कर्नाटक के गुलबर्गा शहर अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली थी। खड़गे ने एक इंटरव्यू में बताया कि शुरुआत में वे पार्टी के प्रचार के लिए पर्चा खुद बांटते थे और स्लोगन दीवारों पर लिखते थे।
खड़गे 1972 में पहली बार विधायक बने। इसके बाद वे 2008 तक लगातार 9 बार विधायक चुने जाते रहे। साल 2009 में पार्टी ने उन्हें गुलबर्गा लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। इसके बाद वह लोकसभा पहुंचे। वह लगातार दो बार 2009 और 2014 में सांसद बने। खड़गे वर्तमान में राज्यसभा सांसद व प्रतिपक्ष के नेता हैं। मोदी लहर में जीत के बाद खड़गे का कद और बढ़ गया।
दक्षिण भारत से होने के बावजूद खड़गे सदन में हिंदी में ही अपनी बातें रखते रहे। राहुल गांधी के उठाए गए राफेल से लेकर नोटबंदी तक के मुद्दों को खड़गे ने लोकसभा में बखूबी रखा, जिससे वे टीम राहुल में भी शामिल हो गए। हालांकि 2019 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन जल्द ही राज्यसभा के जरिए खड़गे ने सदन में एंट्री कर ली। बाद में पार्टी ने गुलाम नबी को हटाकर खड़गे को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया था।
2013 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद खड़गे मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे थे, लेकिन उन्हें केंद्र की पॉलिटिक्स में ही रहने के लिए कहा गया और उनकी जगह कुरूचा (अहीर-गड़ेरिया) पिछड़ी जाति के के. सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया गया। खड़गे उस वक्त मनमोहन कैबिनेट में श्रम विभाग के मंत्री थे, जिसके बाद उन्हें रेल मंत्रालय का जिम्मा दिया गया। मल्लिकार्जुन खड़गे 5 साल तक, यानी 2009 से 2014 तक मनमोहन कैबिनेट में मंत्री रहे।
राजनीतिक करियर में खड़गे का नाम 2 बड़े विवादों में आ चुका है। साल 2000 में कन्नड़ सुपरस्टार डॉ. राजकुमार का चंदन तस्कर वीरप्पन ने अपहरण कर लिया था। उस वक्त खड़गे प्रदेश के गृह मंत्री थे, जिसके बाद विपक्ष ने उनकी भूमिका पर सवाल उठाया। वहीं इसी साल नेशनल हेराल्ड केस में ईडी ने उनसे पूछताछ की थी। हेराल्ड केस में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। हालांकि अब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार में पत्नी राधाबाई के अलावा तीन बेटियां और दो बेटे हैं। उनका एक बेटा कर्नाटक के बेंगलुरु में स्पर्श हॉस्पिटल का मालिक है, जबकि दूसरा बेटा प्रियांक विधायक है। 2019 चुनाव के दौरान खड़गे ने अपनी संपत्ति करीब 10 करोड़ बताई थी।
साभार: सी लाल