राजेश पटेल, वाराणसी
हेमंत पटेल तो एक ठाकुर जातंकवादी की गोली का शिकार होकर अनंत की यात्रा पर चला गया, लेकिन इस मामले में न्याय दिलाने का दावा करने वालों में श्रेय लेने की होड़ को छोड़ गया। उसकी चिता पर सीकी राजनीतिक रोटी के साथ सालन के लिए लोग राख उधेड़ रहे हैं कि शायद शव का कोई हिस्सा अधजला रह गया हो। सोचिए हेमंत की आत्मा जहां भी होगी और वहां से देख रही होगी कि उसकी मौत पर इतनी राजनीति हो रही है तो उस पर क्या बीतती होगी !
सीधे-सादे अंतर्मुखी स्वभाव के छात्र हेमंत पटेल को उसके ही स्कूल के प्रबंधक ठाकुर रामबहादुर सिंह के बेटे राज विजेंद्र सिंह उर्फ रवि सिंह ने गोली मारकर गत 22 अप्रैल को उसी स्कूल में मौत की नींद सुला दी, जहां से वह बड़ा होकर अच्छा इंसान बनने के सपने जागृत अवस्था में देखता था। वह पढ़ाई में भी अच्छा था।
हेमंत पटेल की हत्या की खबर मिलते ही सरदार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आरएस पटेल तुरंत अपने साथियों के साथ मौके पर पहुंचे। गोली मारने का आरोपी ठाकुर, उस पर से भाजपा नेता का पुत्र। थानेदार भी ठाकुर। आक्रमणकारी संगठन करणी सेना के जमाने में समझा जा सकता है कि कार्रवाई में कितना न्याय हो पाएगा। डॉ. आरएस पटेल तब तक थाने में डटे रहे, जब तक मुख्य आरोपी राज विजेंद्र सिंह उर्फ रवि सिंह को पकड़कर थाने नहीं लाया गया।
हेमंत पटेल को न्याय दिलाने के लिए सरदार सैनिकों ने कुर्मी समाज की बैठक की, मार्च निकाला और प्रदेश व्यापी प्रदर्शन किया। इसी बीच अपना दल कमेरावादी की नेता डॉ. पल्लवी पटेल का इस मामले में हस्तक्षेप हुआ। वह पीड़ित परिजन से जाकर मिलीं। अगले दिन पीएम के संसदीय क्षेत्र स्थित उनके जनसंपर्क कार्यालय का घेराव करने जाते समय उनको रास्ते में ही रोक लिया गया। इतना ही नहीं, डॉ. पल्लवी पटेल और उनके 10 नामजद साथियों तथा 60 अज्ञात के खिलाफ दस धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। अर्थात न्याय की बजाय न्याय मांगने पर इतने सारे लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
हेमंत पटेल की हत्या और इस मामले में कार्रवाई को लेकर कुर्मी समाज द्वारा पुलिस पर लगातार दबाव बनाने का क्रम जारी रहा। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण कुर्मी समाज ने पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए अगले चुनावों में इसका जवाब देने की चेतावनी दे डाली। बनारस संसदीय क्षेत्र में साढ़े तीन लाख से ज्यादा कुर्मी हैं। और तीनों बार नरेंद्र मोदी को यहां से सांसद बनाने में कुर्मी समाज की अहम भूमिक रही है। जब मोदी की कुर्सी डोलने लगी तो योगी सरकार भी हरकत में आई। पुलिस ने इस मामले में एसआईटी जांच का मन बना लिया था, ताकि कुर्मी समाज के आक्रोश को थामा जा सके। शिवपुर के प्रभारी इंस्पेक्टर उदयवीर सिंह को लाइन हाजिर करना भी तय था। लेकिन, यह यदि पहले हो जाता तो सरदार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आरएस पटेल, डॉ. पल्लवी पटेल के साथ इसे कुर्मी समाज के आंदोलन की जीत माना जाता।
सरकार चाहती थी कि इसका पूरा श्रेय उसे मिले। इसलिए भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल को पीड़ित के घर भेजा गया। उनसे आश्वासन दिलाया गया कि इस मामले में कोई पक्षपात नहीं किया जाएगा। दोषी चाहे जितना भी ताकतवर होगा, उसे गिरफ्तार करके उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सरकार के मंत्री आशीष पटेल भी पहुंचे। उन्होंने भी हेमंत के गांव का दौरा किया। कड़े शब्दों में कहा कि जांच निष्पक्ष होगी। कोई दोषी बचेगा नहीं। हेमंत के पिता कैलाश चंद्र वर्मा को लेकर पुलिस उपायुक्त मोहित अग्रवाल से मिलवाया। इसके बाद एसआईटी जांच का आदेश जारी किया गया। साथ में शिवपुर थाना के प्रभारी इंस्पेक्टर उदयवीर सिंह को लाइन हाजिर करने का भी।
जैसे ही एसआईटी जांच का आदेश निकला, उसकी फोटो सोशल मीडिया में वायरल होने लगी। फलां का दबाव काम आया, फलां के चलते यह हो सका, आदि-आदि।
सोशल मीडिया में ऐसा शोर मचा, मानो पूरी लड़ाई जीत ली गई हो। अभी तक मात्र एक गिरफ्तारी हुई है। शेष आरोपितों को धरती खा गई, या आसमान निगल गया, किसी को नहीं पता। पुलिस को भी नहीं। स्कूल पर बुलडोजर नहीं चला। बुलडोजर न चलने के पीछे तर्क दिया जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। तो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के मामले में कैसे चला?
दरअसल यहां चित भी मेरी और पट भी मेरी वाली चाल चली जा रही है। कुर्मी समाज में संदेश देना है कि सरकार उनके साथ है, ताकि भाजपा और मोदी को इस समाज का वोट मिलता रहे। उधर सीएम की जाति के हत्यारे का भी ज्यादा कुछ न बिगड़े। अभी तक पीड़ित परिजन के लिए न तो मुआवजे की घोषणा हुई, और न ही सरकारी नौकरी की। शस्त्र लाइसेंस भी नहीं मिला। क्या यही न्याय है? इसी तरह के न्याय के लिए काशी के कुर्मियों ने मोदी को अपना सांसद बनाया था।
न्याय तब तक अधूरा रहेगा, जब तक बुलडोजर नहीं चलता, सभी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो जाती, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी नहीं मिल जाती, एक करोड़ रुपये मुआवजा नहीं मिल जाता। इसके पहले थाना प्रभारी के लाइन हाजिर होने और एसआईटी जांच की घोषणा का झुनझुना बजाने से कुर्मी समाज खुश होने वाला नहीं है। न तो हेमंत की आत्मा को शांति मिलेगी।
हेमंत के पिता एड. कैलाश चंद्र वर्मा ने एसआईटी जांच पर अभी तक सवाल तो नहीं उठाया। लेकिन उन्होंने कहा ‘जांच के बाद इस पर कुछ बोलेंगे’। लेकिन बुलडोजर पर उन्होंने कहा कि ‘यह चलना चाहिए’।

साभार: सच्ची बातें खरी-खरी