लगातार गिरते स्वास्थ्य पर अपने सहयोगी को समझाते हुए बाबा साहब ने पत्र में यह बात लिखी थी
नई दिल्ली, 14 नवंबर
शूद्रों के उत्थान के प्रति मेरा दृढ़ संकल्प ही है जो मेरे कमजोर स्वास्थ्य से पैदा होने वाली निराशा के खिलाफ मुझे अडिग रखे हुए है। बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर ने 25 दिसंबर 1946 को अपने सहयोगी भाऊराव को लिखे पत्र में इसका उल्लेख किया था। बाबा साहब का स्वास्थ्य उन दिनों काफी खराब हो गया था। सेहत को लेकर समर्थकों में व्याप्त निराशा को दूर करने के लिए बाबा साहब ने यह पत्र लिखा था।
बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर अपने पत्र में लिखते हैं,
“मैं बीमार आदमी के रूप में दिल्ली गया था और एक बीमार आदमी के रूप में ही लौटा हूं। आज डॉक्टरों ने मेरा रक्त नमूना लिया। उनका कहना है कि मेरा स्वास्थ्य निश्चित ही खराब हो रहा है। इससे तुम चिंतित मत होना। अचानक स्वास्थ्य में गिरावट के खिलाफ मैं स्वयं को थामे हुए हूं। मुझे विश्वास है कि मैं तब तक जीवित रहूंगा जब तक मेरे अस्तित्व की आवश्यकता मेरे लोगों को पार जाने के लिए है। यह मेरा दृढ़ संकल्प ही है जो मेरे कमजोर स्वास्थ्य से पैदा होने वाली निराशा के खिलाफ मुझे अडिग रखे हुए है। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि मुझे अधिक नहीं तो जीवन की इतनी लंबाई तो प्रदान कर दे।
यह भी पढ़िए: ‘विवाह और असमय मृत्यु’ से कोई एक चुनने को डॉक्टरों ने बाबा साहब से क्यों कहा था ?
तुम संसद तथा संविधानसभा की बहसें तोअवश्य ही पढ़ रहे होगे। हमारा भविष्य काफी कुछ सुधार पर है। संसद में होने वाली बहसों पर मैं विशेष तौर पर प्रसन्न हूं। मैं कह सकता हूं कि मेरा प्रवास पूरी तरह सफल रहा। भावी संविधान में हमारी स्थिति पूर्णत: सुरक्षित है।”
साभार: डॉ. अम्बेडकर के पत्र
यह भी पढ़िए: अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन से ओबीसी, एससी-एसटी का बढ़ेगा प्रतिनिधित्व