अनूप पटेल, 25 अगस्त
मैं बहुत सोच-समझकर कह रहा हूँ कि मंडल कमीशन के जरिये देश के किसान-कामगार (Peasant & Artisan Classes) वर्ग को बेवकूफ बनाया गया। उसकी जीविका (Livelihood) के सवाल को ऐड्रेस नही किया गया।
देश का ये पहला कमीशन है जिसने 54% आबादी की समीक्षा की और आरक्षण की सिफारिश की। उसका आधा यानी 27%. क्रीमीलेयर की अलग मार है।
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अनुसूचित जाति और जन-जाति को उसकी आबादी के आधार पर आरक्षण है। अब तो सवर्णों को भी 10% का आरक्षण है। ऊपर से यदि OBC का कैंडिडेट अनारक्षित श्रेणी (बेहतर मेरिट के आधार पर सामान्य) में आ गया तो उसे आरक्षित वर्ग में ही भेज दिया जाता है।
नौकरी का फॉर्म या प्रवेश परीक्षा-एडमिशन की फीस हो, ओबीसी (OBC) को सवर्ण उम्मीदवार के बराबर ही पैसे देने पड़ते है, किस बात का आरक्षण है? देश के उच्च या सुपर-स्पेशलिटी संस्थानों में OBC वर्ग के कैंडिडेट पढ़ते है लेकिन इन संस्थाओं में ओबीसी वर्ग को आरक्षण नही है?
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सभी सरकारों ने किसान-कामगार जातियों को ठगा है? अब सवर्णों को 15% और OBC को 60% आरक्षण मिलने के लिये मुहिम शुरु हो। सबको आबादी के आधार पर।
बीपी मंडल जी की जयंती मुबारक हो।
सवालों का स्वागत है।