25 सालों में 19 लाख सरकारी नौकरियां घट गईं
नई दिल्ली, 28 जुलाई
पिछड़ों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए 1993 में ओबीसी आरक्षण लागू होने के बाद सरकारी नौकरियों में सुनियोजित ढंग से कटौती की गई। परिणामस्वरूप पिछले 25 सालों में सरकारी नौकरियों की संख्या 1.95 करोड़ से घटकर 1.76 करोड़ हो गई। यानी वर्ष 1993 में 43 आदमी में से एक आदमी सरकारी नौकरी करता था, जबकि इस समय 74 व्यक्ति में से एक आदमी सरकारी नौकरी पर निर्भर है। यह महत्वपूर्ण खुलासा ‘मंडल कमीशन-राष्ट्र निर्माण की सबसे बड़ी पहल’ नामक पुस्तक में किया गया है।
‘मंडल कमीशन-राष्ट्र निर्माण की सबसे बड़ी पहल’ पुस्तक में उल्लेख किया गया है कि 1991-92 में जब भारत की आबादी 83.9 करोड़ थी तो सरकारी नौकरियों की संख्या 1.95 करोड़ थी। जबकि वर्ष 2017 में भारत की आबादी करीब 130 करोड़ है, जबकि सरकारी नौकरियों की संख्या घटकर 1.76 करोड़ रह गई है।
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सरकार ने सरकारी स्कूल-कॉलेज खोलने ही बंद कर दिए:
पुस्तक के अनुसार इसे निजीकरण, नीतिगत बदलाव कहें या समाज की 85 प्रतिशत आबादी से खुंदक। एससी, एसटी और ओबीसी को 49 प्रतिशत आरक्षण क्या मिलने लगा, सरकार ने सरकारी स्कूल-कॉलेज खोलने ही बंद कर दिए। यानी दलित व पिछड़े वर्ग की दोनों आंख फोड़ने के चक्कर में सरकार ने गैर आरक्षित तबके की भी एक आंख फोड़ दी है।
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सामान्य वर्ग के गरीब बच्चों को भी नुकसान:
पुस्तक में लिखा गया है कि गैर आरक्षित तबके को आरक्षण के बावजूद 51 प्रतिशत सीटों पर संघर्ष करने का मौका मिलता था, लेकिन अब ऐसा खेल हो गया है कि निजी स्कूलों में वही पढ़ पाएगा, जिसके पास धन हो। नए सरकारी स्कूल, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडकिल कॉलेज खुलने बंद होने से एससी, एसटी, ओबीसी तबके को तो नुकसान हुआ ही, उतना ही नुकसान आरक्षण न पाने वाले बच्चों का भी हुआ है।
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लखनऊ उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता नंद किशोर पटेल कहते हैं कि सरकारी नौकरियों में संविदा और आउटसोर्सिंग के जरिए सीधी भर्तियां की जा रही हैं, जिसकी वजह से आरक्षित वर्ग के युवा सरकारी नौकरी से वंचित हो रहे हैं। प्रतियोगी छात्र डॉ.सुनील पटेल शास्त्री कहते हैं कि एक सुनियोजित रणनीति के तहत सरकारी नौकरियों में कटौती हो रही है। इसकी वजह से आरक्षित वर्ग के साथ-साथ सामान्य वर्ग के छात्रों को भी नुकसान हो रहा है। सरकार निजीकरण के एजेंडे को तेजी से आगे बढ़ा रही है, जहां पर कर्मचारियों के अधिकारों का शोषण होता है।