प्रदेश के हर जिले में होगी बेबीरानी की सभा, बेबीरानी व मायावती एक ही समाज व पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आती हैं
अशोक जायसवाल, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती के दलित मतदाताओं विशेषकर जाटव बिरादरी को साधने के लिए भाजपा ने उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबीरानी मौर्य ‘जाटव’ पर दाव लगाया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उन्हें उत्तराखंड के राज्यपाल पद से हटाकर भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर उत्तर प्रदेश के चुनावी समर में उतारा गया है।
मूलत: आगरा की रहने वाली बेबीरानी मौर्य जाटव समाज से आती हैं और भाजपा में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुकी हैं। भाजपा बेबीरानी की जाति बताने के लिए दलित समाज में जोर-शोर से प्रचार कर रही है। होर्डिंग-बैनर में उनके ‘सरनेम’ के आगी उनकी जाति का उल्लेख किया जा रहा है। बुधवार को लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाउस के बाहर लगाए गए उनकी होर्डिंग में कुछ ऐसा ही बताया गया है, ताकि लोगों को मालूम हो जाए कि बेबीरानी मौर्य ओबीसी नहीं बल्कि दलित समाज से आती हैं। होर्डिंग में परंपरागत फोटो की बजाय एक तरफ पीएम नरेंद्र मोदी तो दूसरी तरफ बाबा साहब डॉ.भीम राव अंबेडकर की तस्वीर है।
हर जिले में होगी जनसभा:
अक्टूबर-नवंबर में बेबीरानी मौर्य की प्रदेश के ब्रज, पश्चिम, अवध, कानपुर-बुंदेलखंड, काशी और गोरखपुर क्षेत्र में बेबीरानी की एक-एक बड़ी सभा कराने के साथ सभी 75 जिलों में बेबीरानी मौर्य की चुनावी सभाएं और सम्मेलन कराना शुरू कर दिया है। इन सभाओं में क्षेत्र के जाटव समाज के लोगों को इकट्ठा करने की रणनीति बनाई गई। इसके बाद दिसंबर से हर जिले में एक-एक बड़ी सभा कराई जाएगी। इन सभाओं के लिए प्रदेश महामंत्री प्रियंका रावत को समन्वयक नियुक्त किया गया है।
जाटव समाज को साधने की भाजपा की रणनीति:
बता दें कि पिछले दिनों लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्षों के सम्मेलन में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का स्वागत चित्रकूट के जिला पंचायत अध्यक्ष अशोक जाटव ने किया था। जबकि जेपी नड्डा ने सहारनपुर की बलिया खेड़ा की ब्लॉक प्रमुख सोनिया जाटव का स्वागत किया था। उसी दिन पार्टी मुख्यालय में जाटव वोट बैंक साधने की रणनीति भी बनाई गई थी।
बसपा सुप्रीमो मायावती व बेबीरानी मौर्य में समानता:
बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित पूरे उत्तर प्रदेश के जाटव वोट बैंक पर मायावती का कब्जा माना जाता है। मायावती जाटव समाज से आती हैं एवं उनका घर गौतमबुद्ध नगर में है। इसी तरह बेबीरानी मौर्य भी जाटव समाज से आती हैं एवं मूलत: आगरा की रहने वाली हैं। मायावती उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं, जबकि बेबीरानी मौर्य आगरा की महापौर, राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य एवं उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। इसके अलावा वर्तमान राष्ट्रपति एवं तत्कालीन भाजपा राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष रामनाथ कोविंद के साथ कोषाध्यक्ष के तौर पर काम कर चुकी हैं।
राजनीतिक विश्लेषक एवं बलिया निवासी वरिष्ठ पत्रकार अनूप हेमकर कहते हैं, “पिछले कुछ समय से देखा जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती का दायरा लगातार सिकुड़ता जा रहा है। बसपा का मूल वोट बैंक जाटव मतदाता हैं। चूंकि बसपा सुप्रीमो मायावती और बेबीरानी मौर्य, दोनों महिला नेता हैं, दोनों दलित समाज के जाटव बिरादरी से आती हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। ऐसे में भाजपा की इस रणनीति से आगरा मंडल में कुछ हद तक सफलता मिल सकती है। हालांकि विकल्प न होने की वजह से अभी भी जाटव समाज बसपा के साथ है। इसके अलावा हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उभरता हुआ दलित समाज का बेटा एवं भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद रावण भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही आते हैं और वर्तमान में प्रदेश के दलित एवं ओबीसी समाज के युवाओं के बीच चंद्रशेखर का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।”
बेबी रानी मौर्य का जीवन परिचय:
जन्म : 15 अगस्त 1956
शिक्षा : एमए, बीएड
पति: प्रदीप कुमार (पूर्व निदेशक, पंजाब नेशनल बैंक)
आगरा की महापौर: 1995 से 2000 तक
1997 में वर्तमान राष्ट्रपति एवं तत्कालीन भाजपा राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा अध्यक्ष रामनाथ कोविंद के साथ कोषाध्यक्ष रहीं।
2002 में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य बनीं
18 सालों से नव चेतना जागृति संस्था के जरिए दलित व पिछड़ी जाति की महिलाओं को जागरूक करने एवं न्याय दिलाने का कार्य
27 अगस्त 2018 को उत्तराखंड की राज्यपाल पद की शपथ लीं। 8 सितंबर 2021 को पद से इस्तीफा दिया।