केके वर्मा, बाराबंकी/लखनऊ
निकाय चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। बाराबंकी Barabanki में 01 नगर पालिका परिषद एवं एक 13 नगर पंचायतें हैं जहाँ निकाय चुनाव होने हैं। सत्तापक्ष भाजपा के साथ ही विपक्षी दलों में अध्यक्ष व सभासदों की दावेदारों की लम्बी कतारें लगी हुई है।
नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद हेतु भाजपा से वर्तमान नगर पालिका परिषद अध्यक्ष शशि श्रीवास्तव, पूर्व चेयरमैन रंजीत बहादुर श्रीवास्तव तथा उनके पुत्र अमरजीत, पंकज गुप्ता पंकी, प्रशांत मिश्रा, रचना श्रीवास्तव, हर्षित वर्मा, नीता अवस्थी तथा देव कुमार गुप्ता दावेदारी की लिस्ट में हैं तो सपा से सुरेन्द्र वर्मा, धर्मेंद्र यादव, नरेन्द्र वर्मा, राजेश प्रताप सिंह तथा सामान्य सीट होने पर पूर्व सपा जिलाध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह प्रमुख दावेदार हो सकते है। कांग्रेस से सबसे चर्चित नाम राजेन्द्र वर्मा फोटोवाला, सोनम वैश्य, अरशद अहमद तथा रामेश कश्यप एवं बसपा से अभी तक अरविन्द यादव का नाम प्रकाश में आया है।
बाराबंकी की नगर पालिका पर 10 वर्षों से भाजपा का कब्जा है, जिसके कारण भाजपा के हौसले बुलन्द हैं। 2012 के निकाय चुनाव में प्रदेश में सपा की सरकार होने के बाद भी जिले में सपा की बुरी हार हुई थी। उस समय भाजपा से रंजीत बहादुर श्रीवास्तव तथा सपा से राजीव कुमार गुप्ता बब्बी और बसपा के बीच मुकाबला रहा। बसपा दूसरे स्थान पर रही थी। यहां खास बात यह है कि सपा सरकार में पार्टी के विरोध के बाद भी निर्दलीय प्रत्याशी सपा नेता डी कुलदीप सिंह पार्टी प्रत्याशी से चार गुना अधिक मत पाये थे। वहीं, 2017 के निकाय चुनाव में नगर पालिका अध्यक्ष पद का आरक्षण बदल जाने के कारण महिला सीट हो गई थी। फिर भी भाजपा ने तत्कालीन अध्यक्ष रंजीत बहादूर श्रीवास्तव की पत्नि शशि श्रीवास्तव को अपना प्रत्याशी बना कर रंजीत पर भरोसा कायम रखा था। उक्त चुनाव में स्वयं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी नगर में भाजपा के पक्ष में जनसभा की थी, जिसका लाभ भाजपा को मिला और शशि श्रीवास्तव ने पुनः नगर पालिका परिषद में कमल खिला कर इतिहास रचा, जबकि सपा ने सदर विधायक की बहू को अपना प्रत्याशी बनाया था, वही बसपा से अनीता गुप्ता चुनाव मैदान में थीं। 2017 के निकाय चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शशि श्रीवास्तव को 23236 तथा सपा की श्रीमती यादव को 13241 मत मिले थे बसपा की अनीता गुप्ता को 5768 वोट प्राप्त हुए थे।
2022 के निकाय चुनाव में अभी तक आरक्षण की स्थिति साफ नहीं हुई है, किन्तु दावेदारों की लम्बी कतारें सत्ता पक्ष व विपक्ष की चौखट पर लगी हुई है। टिकट को लेकर सबसे अधिक मारामारी भाजपा व सपा में ही है। 2017 के मुकाबले 2022 में काफी स्थितियां बदल गई हैं। नगर पालिका परिषद का सीमा विस्तार होने के कारण मतदाताओं की संख्या में भी वृद्धि हुई। साथ ही, वार्डों की संख्या भी बढ़ गई है। 2012 में 90 हजार, 2017 में 1 लाख 20 हजार तथा 2022 के संभावित निकाय चुनाव में लगभग 1 लाख 66 हजार मतदाता नगर पालिका परिषद अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। वैसे संभावित निकाय चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा व सपा के बीच ही होगा।
सपा से यदि सुरेन्द्र वर्मा मैदान में आते हैं, तो मुकाबला कांटे का होगा। और यदि आरक्षण के तहत अध्यक्ष पद सामान्य सीट एवं महिला के लिए अरक्षित होता है, तो रंजीत बहादुर श्रीवास्तव का परिवार प्रबल दावेदार होगा। सामान्य पुरुष में सपा में डॉ कुलदीप, सुरेन्द्र वर्मा एवं धर्मेंद्र यादव मजबूत दावेदार होंगे। निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने तथा राजनीतिक दलों के टिकट बंटवारे के बाद राजनीतिक दलों में बगावत की आवाज भी बुलन्द होगी और सपा व भाजपा में कई दावेदार ऐसे भी हैं, जो टिकट न मिलने के बाद भी चुनाव मैदान में उतरेंगे। जिन्हें मनाना राजनीतिक दलों के लिए कठिन चुनौती होगी।
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