समाज के सभी वर्गों के त्याग एवं बलिदान से मिली है आजादी: धनंजय कन्नौजिया, पूर्व विधायक
यूपी80 न्यूज, बलिया
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।
“चरौंवा बलिदान दिवस” के अवसर पर गुरुवार को स्वतंत्रता की बलि बेदी पर अपने प्राणों की आहुति देने वाले देश के अमर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व विधायक धन्नजय कन्नौजिया ने कहा कि आज हमें देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के नाम पर यह संकल्प लेना होगा कि हम जीएंगे तो अपने देश के लिए। इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत झंडारोहण व राष्ट्रीय गान से शुरू हुआ। इस दौरान शहीद मेला का भी आयोजन किया गया था।
पूर्व विधायक ने कहा कि देश में सबसे पहले स्वतंत्र होने वाले बलिया, मिदिनापुर व महाराष्ट्र का सतारा जिला रहा। उन्होंने कहा कि आज हम आजाद हैं तो इसके पीछे इन्हीं अमर शहीदों का बलिदान है। आजादी कुर्बानी से मिली है तथा समाज के सभी वर्गों ने त्याग एवं बलिदान दिया है। कहा कि वह सरकार से इस दिवस को भी “बलिया बलिदान दिवस” की तर्ज पर मनाये जाने की पूरजोर मांग करेंगे।
सोनभद्र से आए अपना दल (एस) के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य दिनेश बियार ने चरौंवा के शहीदों को नमन करते हुए कहा कि जो लोग अपने पूर्वजों को भूल जाते हैं। उनको इतिहास भी भूला देता है। उन्होंने कहा कि जब उन्हें चरौंवा के शहीदों में खर बियार की शहादत का पता चला तो वह अपने आपको यहां आने से रोक नहीं सके। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री एवं अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को पत्र लिखकर शहीद खर बियार की प्रतिमा लगाने की मांग की है। उन्होंने चरौंवा के सभी शहीदों मंगला सिंह, खर बियार, मकतुलिया मालिन, शिव शंकर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की।
सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष आद्या शंकर यादव ने कहा कि बलिया का शानदार इतिहास रहा है। 1947 से पहले यदि कोई आजाद हुआ तो वह बलिया जनपद है। इसलिए आज भी हमारे जिले को बागी बलिया कहा जाता है। यदि हम अपने वीर शहीदों के जीवन से प्रेरणा न लेकर धर्म और जाति की लड़ाई में फसेंगे तो देश का नुक्सान होगा। कहा कि हमें अपनी संकीर्ण मानसिकता छोड़ कर अपने को भारत निर्माण में लगाना होगा। उन्होंने चरौंवा के शहीदों को याद करते हुए कहा कि उनके पास जो भी संसाधन थे। उन्होंने उसी से स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी।
इस अवसर पर दिलीप सिंह, उदय नारायण सिंह, रुद्र प्रताप यादव, अंगद यादव, लोकगायक पप्पू पांडेय, परवेज पाशा, बब्लू कन्नौजिया, अवनीश सिंह, कवि नंद जी नंदा, क्रांति सिंह, चंद्र प्रकाश मिश्र, नागा बाबा, अध्यक्षता मार्कंडेय सिंह संचालन प्रधान देवेन्द्र यादव लोग उपस्थित थे।