छोटे कद के हरियाणवी छोरे केजरीवाल ने विरोधियों का किया सफाया, 62 सीटों पर आप का कब्जा
नई दिल्ली, 11 फरवरी
दिल्लीवालों आई लव यू। आज मंगलवार है और मंगलवार हनुमान जी का दिन है। अत: हनुमान जी को भी जीत के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। भारत की राजनीति में इतिहास रचते हुए छोटे कद के हरियाणवी छोरे अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को चुनाव परिणाम आने के बाद कार्यकत्र्ताओं को कुछ इस अंदाज में संबोधित किया। अरविंद केजरीवाल इंद्रप्रस्थ पर तीसरी बार कब्जा करते हुए दिल्ली के सिंहासन पर फिर से विराजमान होने जा रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटों पर कब्जा किया है। शेष 8 सीटों से बीजेपी को संतोष करना पड़ा है। उधर, कांग्रेस को एक बार फिर शून्य से संतोष करना पड़ा। हालांकि यह ऐसा चुनाव था, जिसमें कांग्रेस को मिली करारी हार के बावजूद उसके नेता इस बात से खुश हैं कि बीजेपी की बजाय दिल्ली की तख्त पर अरविंद केजरीवाल बैठने जा रहे हैं।
उधर, बीजेपी पिछले 2 सालों में 7 राज्यों में सत्ता से हाथ धो बैठी है। नरेंद्र मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद 8 महीने के अंदर बीजेपी 4 में से तीन राज्यों में सत्ता गवां चुकी है।
12 राज्यों में बीजेपी विरोधी दल की सरकारें:
देश में दिल्ली समेत 12 राज्यों में बीजेपी विरोधी पार्टियों की सरकारें हैं, जबकि एनडीए के पास 16 राज्यों में सरकारें हैं। कांग्रेस की 7 राज्यों में सरकार है।
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पीएम मोदी ने 2 व अमित शाह ने 48 रैली की:
दिल्ली फतह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 चुनावी जनसभा की और अमित शाह ने 48 चुनावी जनसभा और रोड शो किया। इसके अलावा पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं ने दिल्ली विधानसभा के चुनाव में लगभग 5000 चुनावी जनसभाएं की। बावजूद इसके बीजेपी मात्र 8 सीटों पर ही सिमट गई। पूर्वांचलियों को रिझाने के लिए बीजेपी ने नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी को भी गठबंधन में शामिल किया। लेकिन यह गठबंधन भी फीका रहा। ये अलग बात है कि दिल्ली में आप, बीजेपी और कांग्रेस के बाद सर्वाधिक वोट जेडीयू को मिला। हालांकि कांग्रेस के साथ आरजेडी का भी गठबंधन था, लेकिन दोनों दलों को शून्य ही हाथ लगा।
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उधर, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 49 जनसभाएं व रोड शो किया और 62 सीटों पर कब्जा किया। दूसरी ओर राहुल गांधी ने 4 और प्रियंका गांधी ने 2 जनसभा को संबोधित किया, लेकिन इन्हें एक भी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई।
सामाजिक चिंतक एवं अधिवक्ता नंद किशोर पटेल कहते हैं कि समय बदल गया है, जो पार्टी काम करेगी, जनता उसे सिर माथे पर बिठाएगी। इसके अलावा अब राजनीति बदल रही है, अब वंशवाद नहीं, हमारे-आपके बीच से ही आने वाले युवा नेतृत्व करेंगे।
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