जातिगत जनगणना Caste Census की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर शुरू हुआ अभियान
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
यदि देश में सभी धर्म को मानने वालों की गिनती हो सकती है, पेड़ और जानवरों की गिनती हो सकती है तो किस जाति की कितनी संख्या है, इससे परहेज क्यों, इसका विरोध क्यों? जातिगत जनगणना Caste census की मांग को लेकर राज्यसभा चैनल के वरिष्ठ पत्रकार कविंद्र सचान ने यह मांग की है। बता दें कि जातिगत जनगणना की मांग को लेकर समाज के बुद्धिजीवी, पिछड़ा व दलित वर्ग सहित साथी मिशन के आह्वान पर लोगों ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर यह अभियान चलाया।
जातिगत जनगणना की मांग को लेकर एक सप्ताह पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी Ex CM Jitan Ram Manjhi ने कहा था, “वर्तमान स्थिति में देश की जनगणना आवश्यक है परंतु कोरोना के कारण जनगणना कार्य को रोककर रखा गया है। देश में जब चुनाव हो सकते हैं तो जनगणना से परहेज क्यों? भारत सरकार से अनुरोध है कि 10 वर्षीय जनगणना के साथ-साथ जाति आधारित जनगणना अविलंब शुरू किया जाए।”
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वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक चिंतक प्रोफेसर दिलीप मंडल Pr Dilip Mandal कहते हैं, “कृपया इस मांग का समर्थन करें। इसके बिना भारत में कोई बड़ा सामाजिक बदलाव संभव नहीं है। आंकड़ों के बिना नीतियां बनाना बंद हो। अत: जातिगत जनगणना लागू करो।”
सामाजिक चिंतक एवं शिक्षक आलोक वर्मा आजाद कहते हैं, “बुद्धिजीवी समाज अब जाग रहा है। अपना हिस्सा मांग रहा है। जिसकी जितनी जनसंख्या भारी। उसकी उतनी हिस्सेदारी। अत: जातिगत जनगणना लागू करो।”
भानू सिंह पटेल लिखते हैं, “अपनी संवैधानिक अधिकारों को पाने के लिए तथा सामाजिक राजनैतिक और आर्थिक रूप से समता को बनाने के लिए पूरी पिछड़ी शोषित वंचित समाज को एकजुट होकर जाति जनगणना लागू करने की मांग को मजबूती से उठाने की जरूरत है।” कानपुर के रहने वाले सामाजिक व्यक्ति एवं पेशे से चिकित्सक डॉ.नीरज सचान ने जातिगत जनगणना की मांग की।
पेशे से इंजीनियर एवं सामाजिक व्यक्ति इंजीनियर सुनील कुमार पटेल लिखते हैं, “जीवी समाज अब जाग रहा है। अपना हिस्सा मांग रहा है। जिसकी जितनी जनसंख्या भारी। उनकी उतनी हिस्सेदारी। इसलिए जातिगत जनगणना लागू करो।”
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