राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग NCBC ने विश्वविद्यालय प्रशासन को भेजा नोटिस, 7 दिन में मांगा जवाब
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
2017 में अखिलेश यादव सरकार के खिलाफ जिन मुद्दों के आधार पर भाजपा सत्ता में आई, आज उन्हीं मुद्दों के दलदल में प्रदेश की योगी सरकार फंसती जा रही है। प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ और प्रदेश के बांदा कृषि विश्वविद्यालय Banda University of Agriculture and Technology में एक और बड़ा भर्ती घोटाला सामने आया है। विश्वविद्यालय में भर्ती किए गए 15 प्रोफेसर में से 11 ठाकुर समाज से हैं। इस मामले को लेकर विपक्ष के साथ-साथ खुद भाजपा के नेता और समर्थकों के निशाने पर भी सीएम योगी आ गए हैं। भाजपा विधायक ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की है। उधर, शुक्रवार को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी इस मामले में बांदा कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन से 7 दिनों के अंदर एक्शन रिपोर्ट मांगा है। साथ ही, पिछले पांच सालों के दौरान हुई तमाम भर्तियों का आंकड़ा भी सौंपने को कहा है।

जानकारी के अनुसार बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 20 प्रवक्ताओं की भर्ती की है। इनमें से 18 सामान्य वर्ग और 2 इडब्ल्यूएस कोटे की थीं। 1 जून को निकाले गए रिजल्ट में 15 प्रोफेसर की भर्तियां की गई। इनमें से 11 ठाकुर समाज से, 1 भूमिहार, एक मराठी समाज के अलावा एक ओबीसी और एक ओबीसी और एक अनुसूचित जाति से हैं।
पढ़ते रहिए www.up80.online 69000 सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण की नीति का हुआ उल्लंघन: आयोग
भाजपा विधायक ने पीएम से की शिकायत:

बांदा के तिंदवारी से विधायक बृजेश प्रजापति ने इस मामले में पीएम मोदी से शिकायत की है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं हुआ है।
खुलेआम धांधली: अनूप पटेल

बांदा के बबेरू निवासी कांग्रेस प्रदेश कमेटी के डिजिटल मीडिया के संयोजक डॉ.अनूप पटेल कहते हैं कि योगी सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है। ओबीसी और दलित समाज के हकों पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है।
एससी-एसटी-ओबीसी का हक खा रही है भाजपा: संजय सिंह

आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने कहा है,
“मैं बार-बार कहता हूं “भाजपा दलितों/पिछड़ों की विरोधी इस मामले में भी एससी, एसटी व ओबीसी की नौकरी खा ली गई”आदित्यनाथ जी एक बात साफ कीजिए अगर 15 में से 11 भर्ती एक जाति की हुई तो आरक्षण का क्या हुआ? ये तो खुलेआम एससी/एसटी/ओबीसी का हक मारा जा रहा है।”