किसान संगठन Farmers organisation का आरोप-संयुक्त राष्ट्र UN के नियमों का उल्लंघन कर रही है मोदी सरकार Modi Govt
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
पट्रोल, डीजल व रसोई गैस की बढ़ रही बेतहाशा कीमतों के खिलाफ ट्रेड यूनियन, छात्र संगठन और किसान संगठन सहित अन्य जन अधिकार संगठनों ने सोमवार को रेलवे स्टेशनों पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर किसान संगठनों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के नियमों का मोदी सरकार उल्लंघन कर रही है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद के 46 वें सत्र के संबोधन में, संयुक्त किसान मोर्चा के डॉ दर्शन पाल ने कहा कि किसान जिन 3 केंद्रीय कानूनों का विरोध कर रहे है, वे कानून संयुक्त राष्ट्र के “किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के अन्य कामगारों के अधिकारों की घोषणा” का उल्लंघन करते है। भारत इस अंतर्राष्ट्रीय घोषणा पत्र का एक हस्ताक्षरकर्ता है।
मेवात में आयोजित हुई किसान महापंचायत:
सोमवार को मेवात के सूनेहड़ा-जुरेहड़ा बॉर्डर पर शहीद हसन खान मेवाती के शहादत दिवस पर किसान महापंचायत आयोजित की गई। मेवात के लोगों का शुरू से ही इस आन्दोलन में सहयोग रहा है। बता दें कि मेवात के राजा हसन खान मेवाती बाबर की सेना से लड़ते हुए 15 मार्च 1527 के दिन शहीद हुए थे। यह लड़ाई इस क्षेत्र की कुर्बानी बयां करती है। राजा के साथ मेवात के हज़ारों लोग भी इस लड़ाई में शहीद हुए थे।
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अन्य राज्यों में भी उठ रही है आवाज:
उत्तराखंड से चली किसान मजदूर जागृति यात्रा पलिया होते हुए संघाई पहुंची। कर्नाटक के बसवाकल्याण से बेलारी तक किसानों द्वारा पैदल मार्च किया जा रहा है। हरियाणा के जाखल में एक महापंचायत में पुरुष और महिला किसानों की बड़ी भागीदारी देखी गयी।
सोनभद्र में निजीकरण व महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन:
उधर, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में महंगाई व निजीकरण के खिलाफ सोमवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और विभिन्न श्रमिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया और सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक, पेट्रोलियम पदार्थों व रसोई गैस की बढ़ती कीमतें पर रोक, पुराने श्रम कानून को वापस लाने और किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरना दिया।
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कम्युनिस्ट नेता कामरेड आर के शर्मा कहा कि देश के बिगड़ते हालात की जिम्मेदार केंद्र में असीन मोदी सरकार है, जो शासन, प्रशासन के द्वारा सत्ता का विकेंद्रीकरण, केंद्रीयकरण करने के बजाय व्यावसायीकरण और निजीकरण कर आमादा है। देश की संपदा और सार्वजनिक क्षेत्रों का बेखौफ निजीकरण कर रही है। मजदूर नेता कामरेड विश्वम्भर सिंह, अवधराज सिंह, सुरेंद्र पाल, योगेन्द्र प्रसाद, हरदेव नारायण तिवारी, हरेंद्र पांडेय और शमीम अख्तर खान आदि नेताओं ने भी संबोधित किया। इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति महोदय के नामित आठ सूत्रीय मांग पत्र को जिलाधिकारी को सौंपा।
मांग पत्र में जनपद में उच्च शिक्षा और बेहतर चिकित्सा के लिए केंद्रीय कैमूर विश्वविद्यालय और एम्स जैसे संस्थान की स्थापना कराया जाए और वन विभाग द्वारा आदिवासियों के किये जा रहे शोषण, उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगाई जाए जैसे मांगों को प्रमुखता से उठाया गया।
इस अवसर पर अशोक कुमार कनौजिया (एडवोकेट), अमरनाथ सूर्य, प्रेमचंद गुप्ता, संजय रावत, गुलाब प्रसाद निडर, चंदन प्रसाद पासवान, रामरक्षा,मोहम्मद कलीम, मोहम्मद हनीफ,नजमा खातून, उमाशंकर यादव, कामरेड लाल चंद्र, कामरेड शिव कुमार उपाध्याय, मुन्ना मलिक, बानी बनर्जी,अंबेलाल महतो, उज्जवल गांगुली,मुस्ताक अहमद,गणेश सिंह, हीरालाल भारती और उदय मालवीय आदि सैकड़ों की संख्या ट्रेड यूनियन और कम्युनिस्ट कार्यकर्त्ता मौजूद रहे।