यूपी 80 न्यूज़, आजमगढ़/ लखनऊ
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव Akhilesh Yadav ने आजमगढ़ Azamgarh के किला को बचाने के लिए मैनपुरी को दाव पर लगा दिया है। सपा प्रमुख ने विधान परिषद के चुनाव में प्रमुख दावेदार रहे मैनपुरी के जिलाध्यक्ष व पूर्व विधायक आलोक शाक्य और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की जगह पर पूर्व मंत्री बलराम यादव Balram Yadav को प्राथमिकता दी है।
पार्टी ने आजमगढ़ से दो नेताओं को विधान परिषद में भेजने का फैसला किया है। आजमगढ़ जनपद के अतरौलिया से पूर्व विधायक एवं कैबिनेट मंत्री रहे बलराम यादव और बसपा छोड़ कर सपा में शामिल हुए गुड्डू जमाली Guddu Jamali ने विधान परिषद के लिए सपा उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है। इनके अलावा पश्चिम में अति पिछड़ों को साधने के लिए पूर्व मंत्री किरनपाल कश्यप Kiranpal Kashyap को भी सपा ने उतारा है। विधायकों की संख्या को देखते हुए तीनों उम्मीदवारों का जीतना तय है।
लेकिन राजनीतिक गलियारों में सर्वाधिक चर्चा बलराम यादव को लेकर है। बलराम यादव की उम्र 80 साल से ज्यादा हो गई है। उनके बेटे संग्राम यादव Sangram Yadav 2022 में अतरौलिया से तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। अर्थात अब विधान परिषद में बलराम यादव सपा की आवाज बुलंद करेंगे और पुत्र संग्राम यादव विधान सभा में।
चर्चा यह भी है कि आखिर अखिलेश यादव के सामने कौन सी मजबूरी थी कि उन्होंने सबसे मजबूत दावेदार रहे प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल Naresh Uttam Patel और मैनपुरी Mainpuri के जिलाध्यक्ष आलोक शाक्य Alok Shakya की जगह पर एक ही जनपद से 2 पदाधिकारियों को विधान परिषद भेजने का फैसला लिया। जबकि बलराम यादव का पुत्र पहले से राजनीति में स्थापित हो चुका है।
सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सपा के लिए आजमगढ़ का किला पूरी तरह से पुख्ता नहीं है। क्या पीडीए PDA (पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक) की परिभाषा यही है? क्या समाजवाद यही है? अब इन सभी सवालों का जवाब महज कुछ महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के परिणाम से तय होगा।