अनुप्रिया पटेल ने कहा, “अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन से शोषित वर्ग की न्यायपालिका में भागीदारी सुनिश्चित होगी”
नई दिल्ली, 5 फरवरी
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने केंद्र सरकार से अपील की कि अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का जल्द से जल्द गठन किया जाए, ताकि न्यायपालिका में सामाजिक न्याय फलीभूत हो और दलित-पिछड़े, आदिवासी समाज के लोगों की भी लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण स्तम्भ में भागीदारी सुनिश्चित हो सके। श्रीमती पटेल ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रस्तुत धन्यवाद प्रस्ताव के समर्थन में अपनी बात रखते हुए यह बात कही।
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि सामाजिक न्याय की अवधारणा को मजबूती प्रदान करने के लिए पिछले सत्र में अनुसूचित जाति-जनजाति को लोकसभा और विधानसभा में मिलने वाले आरक्षण की समयावधि को 10 वर्षों के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया गया। केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालयों में एकेडमिक सेशन 2020-21 से पिछड़ी जाति के विद्यार्थियों के लिए प्रवेश में 27 परसेंट के आरक्षण का निर्णय लिया गया।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों की नियुक्ति प्रक्रिया में 13 प्वाइंट रोस्टर के स्थान पर 200 प्वाइंट के पूर्ववर्ती रोस्टर की बहाली का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि पिछले कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। क्रीमी लेयर के दायरे में आने वाली आय-सीमा को 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख करने का निर्णय लिया गया।
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अनुप्रिया पटेल ने इन निर्णयों की सराहना करते हुए केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि इस कार्यकाल में भी वंचित वर्ग के लिए मोदी सरकार ऐतिहासिक निर्णय लेगी। उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन किया जाए, ताकि दलित-पिछड़े- आदिवासी समाज के लोगों की भी लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण स्तंभ में भागीदारी सुनिश्चित होगी।

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