यूपी 80 न्यूज़, लखनऊ
केंद्र सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने का एलान किया है। केंद्र के इस निर्णय को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ‘सामाजिक न्याय’ के आंदोलन की जीत बताया है। अखिलेश यादव ने कहा कि ये दिखाता है कि सामाजिक न्याय व आरक्षण के परंपरागत विरोधियों को मन मारकर पीडीए के 90 फीसदी लोगों की एकजुटता के आगे झुकना पड़ रहा।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, ‘जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को मरणोपरांत घोषित भारत रत्न दरअसल ‘सामाजिक न्याय’ के आंदोलन की जीत है, जो दर्शाती है कि सामाजिक न्याय व आरक्षण के परंपरागत विरोधियों को भी मन मारकर अब पीडीए के 90 फीसदी लोगों की एकजुटता के आगे झुकना पड़ रहा है। पीडीए की एकता फलीभूत हो रही है।
कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में नाई समाज में 24 जनवरी 1924 को हुआ था। उन्हें ‘जननायक’ कहकर संबोधित किया जाता है। वह साल 1952 में पहली विधायक चुने जाने के बाद आजीवन वह किसी न किसी सदन के सदस्य रहे।1970-79 के बीच बिहार के दो-दो बार मुख्यमंत्री और बाद में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। अपने जीवनकाल में कर्पूरी ठाकुर के इतने अहम पदों पर रहने बावजूद उनके पास न तो घर था और ना ही कोई गाड़ी। यहां तक कि उनके पास अपनी पैतृक जमीन भी नहीं थे। राजनीति में ईमानदारी, सज्जनता एवं लोकप्रियता ने कर्पूरी को जननायक बना दिया था।
कर्पूरी ने आजीवन कांग्रेस के विरुद्ध राजनीति की थी। आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी उन्हें गिरफ्तार करने में कामयाब नहीं हो पाई। कर्पूरी सर्वोच्च पद पर पिछड़े समाज के व्यक्ति को देखना चाहते थे। कर्पूरी राजनीति में परिवारवाद के प्रबल विरोधी थे। ठाकुर ने जीवित रहने तक उन्होंने अपने परिवार के किसी सदस्य को राजनीति में नहीं आने दिया। फिलहाल उनके पुत्र रामनाथ ठाकुर जेडीयू से सांसद हैं।