यूपी80 न्यूज, घोसी/लखनऊ
घोसी उपचुनाव में मिली करारी शिकस्त के बावजूद दारा सिंह चौहान Dara Singh Chauhan और सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर Omprakash Rajbhar को अगले कुछ दिनों के अंदर योगी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। घोसी उपचुनाव में पराजय के बावजूद पिछड़ा वर्ग से आने वाले ये दोनों नेता 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी के रथ को आगे बढ़ाने के लिए खास उपयोगी हैं।
बता दें कि दारा सिंह चौहान नोनिया चौहान बिरादरी से आते हैं और सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर की राजभर समाज में अच्छी पकड़ है। विधानसभा उपचुनाव में हार के बावजूद पूर्वांचल की कई लोकसभा सीटों पर ये दोनों नेता अपने समाज के वोट को कुछ हद तक ट्रांसफर करा सकते हैं।
चूंकि लोकसभा चुनाव नजदीक है और इंडिया India गठबंधन के तौर पर विपक्षी एकता की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन कोई कोर-कसर छोड़ने के मूड में नहीं है। लोकसभा चुनाव में हर वोट को सहेजने की खातिर दारा सिंह चौहान और सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर को सम्मानजनक पद मिलने की पूरी संभावना है। हालांकि उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर एवं दारा सिंह चौहान पूर्व की तरह मोल-भाव नहीं कर सकते हैं। अब शायद ओमप्रकाश राजभर की पार्टी को लोकसभा चुनाव में अपेक्षा के अनुरूप पर्याप्त सीटें न मिले। इसके अलावा निगम एवं बोर्ड में पार्टी के कम लोगों को समायोजित किया जाए।
भाजपा व सहयोगी दलों का नहीं चला जादू:
घोसी उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार किया था एवं अपने संबोधन में उन्होंने दलित-पिछड़ों को साधने के लिए समाजवादी पार्टी पर जमकर हमला बोला था। उनके अलावा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एवं उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक सहित भाजपा के दर्जनों मंत्रियों एवं संगठन के पदाधिकारियों एवं सहयोगी दलों निषाद पार्टी के मुखिया डॉ.संजय निषाद एवं सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने घोसी में कई दिनों तक कैंप किया था। बावजूद इसके भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को 42 हजार वोटों से पराजय का स्वाद चखना पड़ा। यहां से सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह Sudhakar Singh विजयी हुए हैं।
मंत्री एके शर्मा एवं दयाशंकर सिंह की रणनीति फेल:
मजे की बात यह है कि प्रदेश के कद्दावर मंत्री एके शर्मा का गृह जनपद घोसी है एवं परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह पड़ोस के जनपद बलिया से विधायक हैं। बावजूद इन मंत्रियों का जादू यहां नहीं चल पाया।