ओमप्रकाश वाल्मीकि की रचनाएं ही दलित साहित्य का आंदोलन बनाती हैं: प्रो० रजत रानी ‘मीनू’
यूपी80 न्यूज, सहारनपुर
प्रसिद्ध साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि Omprakash Valmiki जी की 72वीं जयंती पर साहित्य चेतना मंच, सहारनपुर द्वारा “ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान समारोह-2022” का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वेबिनार के जरिए 10 दलित साहित्यकारों को ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान की घोषणा डॉ. अमिता मेहरोलिया ने की।
बीते सप्ताह हिंदी दलित साहित्य की महत्वपूर्ण कवयित्री, कथाकार प्रो० रजत रानी ‘मीनू’ ने मुख्य वक्ता के तौर पर वेबीनार को संबोधित करते हुए कहा कि ओमप्रकाश वाल्मीकि हिन्दी दलित साहित्य के पुरोधा और शिखर लेखक थे। वाल्मीकि जी की कविता ‘ठाकुर का कुआं’ एक ऐसी कविता है जो कभी पुरानी नहीं होती अर्थात् उसकी प्रासंगिकता निरंतर बनी हुई है क्योंकि यह दलित समाज का सच है जिसकी अभिव्यक्ति इस कविता में हुई है। अत: हम कह सकते हैं कि कबीर और रैदास की भांति ओमप्रकाश वाल्मीकि भी प्रासंगिक हैं। यदि कहा जाए कि ओमप्रकाश वाल्मीकि दलित साहित्य के पर्याय बन गए हैं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
ओमप्रकाश वाल्मीकि की रचनाएं ही दलित साहित्य का आंदोलन बनाती हैं और यही आज हमारे समाज और रचनाकारों की अवश्यकता है। नजर आता है। वाल्मीकि जी ने इतना काम किया है कि जितना भी उन पर बोला या लिखा जाए वह कम ही है।
इस अवसर पर सम्मानित होने वाले 10 साहित्यकार:
बिहार से विपिन बिहारी, उत्तराखंड से डॉ. राजेश पाल, दिल्ली से डॉ. नीलम, डॉ. मुकेश मिरोठा, गुजरात से डॉ. खन्ना प्रसाद अमीन, राजस्थान से सतीश खनगवाल, तेलंगाना से उषा यादव, पश्चिम बंगाल से प्रदीप कुमार ठाकुर, हरियाणा से रमन कुमार और उत्तर प्रदेश से बच्चा लाल उन्मेष सम्मानित हुए।
विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रसिद्ध पंजाबी साहित्यकार मदन वीरा ने बताया कि उन्होंने ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा जूठन का पंजाबी में अनुवाद किया। उन्होंने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि हमें ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्यिक अवदान से सीखना चाहिए और दलित साहित्य को उच्च शिखर तक ले जाना चाहिए। यह जिम्मेदारी आज के युवा साहित्यकारों पर है। इस अवसर पर प्रसिद्ध चित्रकार डॉ. लाल रत्नाकर, बलराम, समय सिंह जौल, डॉ. राजकुमारी आदि ने अपनी बात रखी और ओमप्रकाश वाल्मीकि को याद करके श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि धर्मपाल सिंह चंचल ने की। साहित्य चेतना मंच के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र वाल्मीकि ने इस कार्यक्रम में शामिल हुए सभी व्यक्तियों का धन्यवाद किया। संस्था के महासचिव श्याम निर्मोही ने इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की और डॉ. दीपक मेवाती ने कुशलतापूर्वक मंच का संचालन किया।