16 मार्च 1948 को बाबा साहब ने अपने सहयोगी भाऊराव को लिखे पत्र में इसका खुलासा किया था
नई दिल्ली, 26 सितंबर
बात उन दिनों की है, जब बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर की पत्नी का निधन हो गया था और बाबा साहब शुगर जैसी गंभीर बीमारी की वजह से अत्यधिक कमजोर हो गए थे। बाबा साहब ने फैसला किया था कि वह दोबारा विवाह नहीं करेंगे। लेकिन बीमारी की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टरों ने बाबा साहब से कहा था, “या तो विवाह कर लीजिए अथवा असमय मृत्यु का वरण कीजिए।” इसका खुलासा खुद बाबा साहब द्वारा अपने सहयोगी भाऊराव को 16 मार्च 1948 में भेजे गए पत्र से हुआ है।
बाबा साहब ने अपने पत्र में लिखा है, “मैं जिस रोग से पीड़ित हूं, यदि यह फिर हो जाए तो प्राणघातक भी हो सकता है। डॉक्टर कहते हैं मधुमेह पाचन से संबंधित रोग है, अत: ऐसा कोई होना चाहिए जो मेरे खाने, इंसुलिन देने आदि का ध्यान रखे। यदि ऐसा हो तो इसके फिर से होने की संभवना काफी कम हो जाएगी।
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यशवंत की माता के देहावसान के पश्चात मैंने तय किया था कि विवाह नहीं करूंगा। परंतु परिस्थितियां मुझ पर पुनर्विचार का दबाव डाल रही हैं। चिकित्सकों का कहना है कि मुझे विवाह और असमय मृत्यु दोनों में से एक का वरण करना है।
जैसा कि इच्छा करना तो आसान है, किंतु पत्नी खोजना असंभव तो नहीं पर मुश्किल अवश्य है। एक स्त्री जो मेरी पत्नी बन सके उसका शिक्षित होना, चिकित्सा कुशल होना तथा पाक कला प्रवीण होना बहुत आवश्यक है। हमारे समुदाय में तो ऐसी स्त्री मिलना असंभव है। जिसमें इन तीनों योग्यताओं का सम्मिलन हो और वह मेरी आयु के अनुकूल भी हो। अपने समुदाय के बाहर ऐसी स्त्री को खोज पाना जो मुझसे विवाह कर सके और भी असंभव लगता है, इसका एक सीधा सा कारण है, मेरे संपर्क नहीं हैं। मेरा जीवन इतना एकांतिक रहा है कि मेरा सवर्ण पुरुषों से ही संपर्क नहीं रहा, तो उससे भी कम सवर्ण महिलाओं से रहा। सौभाग्य से मैं एक को खोजने में समर्थ रहा। वह सरास्वत ब्राह्मण समुदाय से है।”
(16 मार्च 1948 को बाबा साहब ने यह पत्र लिखा था)
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