यूपी80 न्यूज, लखनऊ
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 10 सिखों के फर्जी एनकाउंटर मामले में 43 पुलिसकर्मियों को सात-सात साल की सजा सुनाई है। इन पुलिसकर्मियों ने 1991 में पीलीभीत में 10 सिखों को खालिस्तान लिब्रेशन फ्रंट का आतंकी बताकर फर्जी एनकाउंटर में मार दिया था।
2016 में ट्रायल कोर्ट ने इन पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उक्त फैसले को निरस्त कर दोषी पुलिसकर्मियों को राहत देते हुए सात-सात साल की सजा सुनाई है। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने पारित किया है।
नानकमथा पटना साहिब से लौट रहे थे सिख:
12 जुलाई 1991 को नानकमथा पटना साहिब, हुजूर साहिब व अन्य तीर्थ स्थलों की यात्रा करते हुए 25 सिख यात्रियों का जत्था बस से लौट रहा था। पीलीभीत के कछाला घाट के पास पुलिसकर्मियों ने बस को रोक कर 11 युवकों को उतार लिया। इनमें से 10 की लाश मिली, जबकि शाहजहांपुर के तलविंदर सिंह का आज तक पता नहीं चला।
इस मामले को लेकर एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई 1992 को मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने इस मामले में 57 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में 178 गवाह बनाए थे।
