जय किसान आंदोलन का दावा- यदि यही हाल रहा तो किसानों को 4950 करोड़ रुपए का होगा नुकसान
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
किसानों को एमएसपी से नीचे गेहूं बेचने की वजह से पिछले 20 दिनों के अंदर 205 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है। यदि इसी तरह बाजार भाव चलता रहा तो गेहूं की खेती करने वाले किसानों को 4950 करोड़ रुपए का नुकसान हो जाएगा। जय किसान आंदोलन की तरफ से जारी प्रेस नोट में यह जानकारी दी गई है।
जय किसान आंदोलन का मानना है कि सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य अर्थात एमएसपी 1975 रुपए निर्धारित किया था। लेकिन देश के सभी मंडियों में किसान को औसतन 1703 रुपए ही मिल पाए। अर्थात किसान को प्रति क्विंटल सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम से भी कम बेचने के कारण 272 रुपए का घाटा सहना पड़ा।
जय किसान आंदोलन के संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव कहते हैं कि 1 मार्च से 20 मार्च के बीच किसान को गेहूं एमएसपी से नीचे बेचने की वजह से सीजन के शुरुआत में ही 205 करोड रुपए का घाटा हो चुका है। यही बाजार भाव चलता रहा तो इस सीजन में केवल गेंहू की फसल में किसान की 4950 करोड रुपए की भीषण लूट होने का अनुमान है। हालांकि हरियाणा और पंजाब में और खरीद होने पर इस स्थिति में कुछ सुधार की गुंजाइश है परन्तु वह नाकाफ़ी होगा।
रबी के इस सीजन में पिछले 20 दिन के आंकड़ों के अनुसार किसान का 87.5 फ़ीसदी गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बिका।
योगेंद्र यादव कहते हैं कि यह बहुत चौंकाने वाली खबर है और एमएसपी को लेकर सरकारी प्रोपेगंडा का सबसे करारा जवाब है। आमतौर पर माना जाता है कि कम से कम गेहूं की फसल में तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल जाता है। अगर सीज़न की शुरुआत में ही गेहूं में भी किसान की ₹250 से ₹300 प्रति क्विंटल की लूट हो रही है तो एमएसपी किसान के साथ एक क्रूर मजाक है।
जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अवीक साहा ने आज चौथे दिन “एमएसपी लूट केलकुलेटर” का आंकड़ा जारी करते हुए बताया कि इसमें इस्तेमाल किए जा रहे आंकड़े सरकार की अपनी वेबसाइट एगमार्क नेट से लिए गए हैं। इसका उद्देश्य सरकार की इस झूठे प्रचार का भंडाफोड़ करना है कि सरकार द्वारा घोषित एमएसपी किसान को प्राप्त हो रहा है।