5 करोड़ रुपए जीतने वाले सुशील कुमार चंपारण की पुरानी पहचान वापस लाने के लिए घर-घर जाकर चंपा के पौधे लगाते हैं
मोतीहारी, 18 मार्च
आज से 100 साल पहले बापू ने जिस धरती से ब्रिटानिया हुकूमत को भारत से खदेड़ने का बिगूल बजाया था, आज उसी धरती का एक लाल चंपारण की मूल पहचान को वापस लाने के लिए अलख जगा रहा है। हम बात कर रहे हैं ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के विजेता सुशील कुमार की, जिनकी आज ‘द चंपा मैन’ के तौर पर एक नई पहचान बनती जा रही है।
किसान के बेटे सुशील कुमार ने 2011 में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन के सारे सवालों का जवाब देते हुए 5 करोड़ रुपए की धनराशि जीती थी और पूरे देश में लोकप्रिय हुए थे। आज वही सुशील कुमार चंपारण की मूल पहचान (चंपा के अरण्य) को सहेजने के लिए ‘चंपा से चंपारण तक’ अभियान चला रहे हैं। सुशील कुमार हर सुबह अपनी स्कूटी पर दो बड़े थैले लटका कर किसी के दरवाजे पर चल देते हैं। उनके एक थैला में चंपा –पीपल के पौधे और दूसरे थैला में गौरैया का घोंसला होता है। पिछले 2 साल में सुशील कुमार 80 हजार चंपा के पौधे, 400 पीपल व बरगद के पौधे और लगभग 500 गोरैया के घोंसले वितरित कर चुके हैं। चंपारन के लोग अब सुशील कुमार को ‘द चंपा मैन’ के नाम से पुकारते हैं।
UP80.online से बात करते हुए सुशील कुमार कहते हैं, “चंपारण का नाम चंपा के जंगल पर पड़ा, लेकिन बदलते दौर के साथ चंपा के पेड़ विलुप्त होने के कगार पर थे, दो साल पहले तक चंपा के बहुत कम पेड़ नजर आते थे। चंपारण को उसकी पुरानी पहचान दिलाने के लिए ही मैने ‘चंपा से चंपारण तक’ अभियान की शुरूआत की।“
सुशील कुमार यह भी कहते हैं कि चंपारण में पेड़ों की अधिक कटाई से भूजल-स्तर काफी नीचे चला गया है। आज समाज के पढ़े-लिखे तबके को इसका बोध हो रहा है और हमारे इस अभियान में लोग जुड़ रहे हैं।
ये सुशील कुमार की लगन की ही देन है कि आज चंपारण के शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी चंपा के पेड़ नजर आने लगे हैं। सुशील कुमार खुद पौधा लेकर लोगों के घरों पर जाते हैं और उसे लगाते हैं। लोगों के घरों पर हथौड़ी और कील के जरिए गोरैया का घोंसला भी लगाते हैं।
उपहार के तौर पर चंपा का पौधा:
सुशील कुमार किसी समारोह में जाते हैं तो उपहार स्वरूप चंपा का पौधा देते हैं। वह लोगों को प्रेरित करते हैं कि अपने बच्चे के जन्मदिन पर एक पौधा जरूर लगाएं। इसके अलावा एनिसर्वरी या बरसी पर भी पौधा लगाने की प्रेरणा देते हैं। अपने इस अभियान के लिए सुशील कुमार किसी से आर्थिक सहयोग नहीं लेते हैं। यदि कोई उन्हें सहयोग करना चाहता है तो वह सहयोग के तौर पर संबंधित व्यक्ति या संस्था से पौधा ही लेते हैं।
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गोरैया संरक्षण के लिए पहल:
आंगन की चिड़िया कही जाने वाले गोरैया के संरक्षण के लिए भी सुशील कुमार लोगों को जागरूक करते हैं। लोगों के घरों पर जाकर घोंसला लगाते हैं। इसके लिए वह खुद घोंसला के साथ कील व हथौड़ी भी साथ रखते हैं। उनके कई घोंसलों में गोरैया आकर रहने लगी है।
संयुक्त परिवार:
सुशील कुमार साइक्लॉजी में एमए और बीएड हैं। सुशील कुमार का संयुक्त परिवार है। सुशील कुमार माता-पिता, पत्नी व 8 वर्षीय बेटी व अपने चार भाईयों के साथ रहते हैं।
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2011 में केबीसी विजेता बने:
वर्ष 2000 में जब कौन बनेगा करोड़पति की शुरूआत हुई तो उस समय सुशील कुमार 10वीं में पढ़ रहे थे। देश के हर उस मेधावी बच्चों की तरह सुशील कुमार भी इस कार्यक्रम में भाग लेना चाहते थें। कई बार कोशिश करने के बाद 2011 में उन्हें इस कार्यक्रम में भाग लेने में सफलता मिली और उन्होंने इस शो में अमिताभ बच्चन के सारे सवालों का जवाब देते हुए 5 करोड़ रुपए की धनराशि जीत ली।
केबीसी विजेता बनने के बाद सुशील कुमार पूरे देश में लोकप्रिय हो गए। सुशील कुमार कहते हैं कि केबीसी विजेता बनने के बाद कई महीनों तक समझ नहीं आया कि क्या किया जाए। लेकिन आज हमें हमारी मंजिल मिल गई है और वो है चंपारण की पहचान को सहेजना। सुशील कुमार कहते हैं कि पिछले चंद दशकों में हमने पर्यावरण को जितना नुकसान पहुंचाया, उतना नुकसान सदियों में भी नहीं हुआ। आज भी समय है कि हम पर्यावरण को सहेजें, ताकि आने वाली पीढ़ी का जीवन खुशहाल हो।
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