बिखरता जा रहा है एनडीए NDA का कुनबा; शिवसेना Shivsena, आजसू Ajsu के बाद अब अकाली दल ने भी एनडीए को अलविदा कहा
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए NDA ) का कुनबा लगातार बिखरता जा रहा है। कृषि बिलों को लेकर बीजेपी की 22 साल पुरानी सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए छोड़ दिया है। अकाली दल Shiromani Akali Dal ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से किसानों के साथ खड़े होने और विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने का अनुरोध किया है।
मोदी सरकार द्वारा मानसून सत्र के दौरान संसद में लाए गए तीन विवादास्पद कृषि बिल के विरोध में अकाली दल कोटे से केंद्र में मंत्री बनी हरसिमरत कौर बादल Harsimrat Kaur Badal ने पिछले सप्ताह मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था और अब इसी मुद्दे पर अकाली दल ने शनिवार रात्रि एनडीए को ही छोड़ने की घोषणा कर दी।
अकाली दल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को समाप्त करने की आशंकाओं के चलते कृषि बिलों का विरोध कर रही है। अकाली दल का मानना है कि कृषि क्षेत्र में निजी कंपनियां छोटे और सीमांत किसानों के लिए समस्या पैदा करेंगी। अकाली दल ने यह भी आरोप लगाया है कि पंजाबी और सिख मुद्दों के प्रति मोदी सरकार ने निरंतर असंवेदनशीलता दिखायी।
पढ़ते रहिए www.up80.online कृषि बिलों के खिलाफ किसानों का सफल रहा ‘भारत बंद’ आंदोलन
बता दें कि कृषि बिलों के खिलाफ पूरे देश भर में किसान संगठन विरोध कर रहे हैं। 25 सितंबर को देश के विभिन्न हिस्सों में किसान संगठनों ने चक्का जाम एवं विरोध प्रदर्शन के जरिए ‘भारत बंद’ किया। जिसकी वजह से पंजाब और हरियाणा में ट्रेनें रद्द कर दी गईं।
इन तीन विधेयकों का हो रहा है विरोध:
किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक।
किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता और कृषि सेवा विधेयक।
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक।
सहयोगी पार्टियों का एनडीए से हो रहा है मोहभंग:
ऐसा लग रहा है कि बीजेपी का जैसे-जैसे ग्राफ बढ़ रहा है, वैसे-वैसे बीजेपी अपने सहयोगी पार्टियों के हितों को नजरअंदाज कर रही है। इसी वजह से पिछले डेढ़ साल के दौरान कई सहयोगी पार्टियां एनडीए को छोड़ चुकी हैं। 2019 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सहयोगी पार्टी सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी ने एनडीए का साथ छोड़ दिया तो 2019 के अंत में झारखंड में आजसू भी एनडीए से अलग हो गई। इसी तरह बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिवसेना भी पिछले साल एनडीए से अलग हो गई थी और अब शिरोमणि अकाली दल ने भी अलग राह पकड़ ली है।
भले ही एक क्षेत्र विशेष में सहयोगी दलों का जनाधार हो, लेकिन इन दलों के दूर होने से बीजेपी संबंधित राज्य की सत्ता से दूर हो गई। जैसे शिवसेना के अलग होने से महाराष्ट्र बीजेपी के हाथों से निकल गया। इसी तरह आजसू के दूर होने से झारखंड की सत्ता भी बीजेपी के पास से चली गई।
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