मेडिकल एंट्रेंस नीट में ओबीसी आरक्षण को लेकर अब तक मायावती, अखिलेश यादव और नीतीश कुमार का नहीं आया बयान
पिछड़ों का वोट सबको चाहिए, लेकिन पिछड़ों के हक पर सब हैं खामोश
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
पिछड़ों के सहारे सत्ता की कुर्सी पर बैठने वाली उत्तर प्रदेश और बिहार की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां मेडिकल एंट्रेंस नीट के अखिल भारतीय कोटा में पिछड़ों का आरक्षण लागू किए बिना ही प्रवेश परीक्षा की घोषणा मामले में खामोश हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में बसपा, सपा और जदयू तीनों पार्टियों के नेता उपस्थित थें, लेकिन किसी भी नेता ने नीट मामले में चुप्पी नहीं खोली। दूसरी ओर, उसी बैठक में 2 सांसदों का नेतृत्व करने वाली एक महिला नेता ने नीट एवं 69 हजार शिक्षक भर्ती में बरती गई अनियमितता मामले में आवाज उठायी।

बैठक में अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने नीट के अखिल भारतीय कोटा में पिछड़ों का आरक्षण लागू करने की मांग की। इसके अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश में हुए 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में भी पिछड़ों के साथ बरती जा रही अनियमितता पर आवाज उठायी।
बता दें कि पिछड़ों के सहारे उत्तर प्रदेश की 4 बार मुख्यमंत्री बनने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती ने अब तक नीट मामले में कोई ट्वीट अथवा टिप्पणी नहीं की है।

सर्वदलीय बैठक में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव भी मौजूद थे, लेकिन उन्होंने भी नीट मामले में चुप्पी साध ली।

खुद ओबीसी वर्ग से आने वाले राम गोपाल यादव की नीट जैसे गंभीर मामले में चुप्पी से पिछड़ा वर्ग में गहरी नाराजगी है। इस मामले में अब तक अखिलेश यादव ने भी कोई टिप्पणी नहीं की है।

उधर, बिहार में पिछले 15 सालों से मुख्यमंत्री पद पर काबिज नीतीश कुमार भी नीट मामले में खामोश हैं। नीतीश कुमार की चुप्पी से पिछड़ा वर्ग को गहरा झटका लगा है। ये तीनों पार्टियां उत्तर प्रदेश और बिहार में सामाजिक न्याय का चेहरा हैं, बावजूद इसके ओबीसी के इस ज्वलंत मुद्दे पर इनकी खामोशी कई सवाल खड़े कर रहे हैं।

हालांकि बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी के नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजेस्वी यादव ने नीट मामले में बड़ा आंदोलन करने की घोषणा की है। इनके अलावा भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद रावण, सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर इस मामले में लगातार आवाज उठा रहे हैं। भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने इस मामले में दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के कार्यालय पर प्रदर्शन भी कर चुके हैं।