योगी सरकार का यह फैसला पूरी तरह असंवैधानिक:गहलोत
दिल्ली / लखनऊ, 3 जुलाई
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के ‘17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के फैसले’ पर केंद्र की मोदी सरकार ने वीटो लगा दिया है। केंद्र की मोदी सरकार ने योगी सरकार के इस फैसले को गैरकानूनी बताया है।
मंगलवार को राज्यसभा में बहुजन समाज पार्टी के सांसद सतीश चंद्र मिश्र के एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ की सरकार से इस आदेश को वापस लेने की मांग की। गहलोत ने कहा कि यह आदेश पूरी तरह असंवैधानिक है। यह मामला संसद के विशेषाधिकार में आता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह किसी भी न्यायालय में मान्य नहीं है। उन्होंने कहा कि हम यूपी की बीजेपी सरकार से इस फैसले को वापस लेने का अनुरोध करेंगे।
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संवैधानिक प्रक्रिया के तहत शामिल करने की मांग कर रही है बसपा:
बसपा की मांग है कि इन 17 अति पिछड़ी जातियों को संवैधानिक प्रक्रिया के तहत अनुसूचित जाति में शामिल किया जाए। बसपा सांसद सतीश मिश्रा ने आरोप लगाया कि इन 17 जातियों के साथ धोखा हुआ है क्योंकि ये जातियां ओबीसी से भी हट गई हैं और संविधान संशोधन किए बिना अनुसूचित जाति की सूची में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि इन जातियों को संविधान के तहत अनुसूचित जातियों का दर्जा दिया जाए।
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बता दें कि योगी सरकार ने 3 दिन पहले इन जातियों को ओबीसी की सूची से बाहर करते हुए अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट जारी करने का आदेश दिया था। इनमें केवट, मल्लाह, राजभर, कुम्हार, कश्यप, निषाद, धीवर, बिंद, भर, प्रजापति, धीवर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, मांझी और मछुआ शामिल हैं।