पिछले सप्ताह पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने संसद में आवाज उठाया था
30 जनवरी 2015 को शासनादेश जारी करने के बावजूद बरती जा रही है लापरवाही
लखनऊ, 9 दिसंबर
ओबीसी, एससी-एसटी वर्ग के होनहार युवक-युवतियों के भविष्य से खिलवाड़ किए जाने का मामला पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल द्वारा संसद में उठाते ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार हरकत में आ गई है। योगी सरकार ने इस बाबत शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि बेहतर अंक लाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों को सामान्य श्रेणी में काउंट किया जाए। इस बाबत योगी सरकार ने शिक्षा विभाग को बकायदा आदेश पत्र भी जारी कर दिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त सचिव श्रवण कुमार सिंह ने उत्तर प्रदेश के उच्चतर शिक्षा सेवा सचिव, प्रयागराज को पत्र लिखकर कहा है, “यदि आरक्षित श्रेणी का कोई व्यक्ति योग्यता के आधार पर खुली प्रतियोगिता में सामान्य अभ्यार्थियों के साथ चयनित होता है तो उसे आरक्षित रिक्तियों के प्रति समायोजित नहीं किया जाएगा अर्थात उसे अनारक्षित रिक्तियों के प्रति समायोजित माना जाएगा। भले ही उसने आरक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों को अनुमन्य किसी सुविधा या छूट (यथा आयु सीमा में छूट आदि) का उपभोग किया हो।”
खास बात यह है कि इस नियम का कड़ाई से पालन करने हेतु कार्मिक विभाग ने 30 जनवरी 2015 को शासनादेश भी जारी किया था, बावजूद इसका पालन नहीं किया जा रहा था।
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बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने पिछले सप्ताह लोकसभा में शून्य काल के दौरान सरकारी भर्तियों में ओबीसी वर्ग के अभ्यार्थियों का कट ऑफ सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज्यादा का मामला उठाया था। श्रीमती पटेल ने मांग की कि किसी भी परिस्थिति में यदि आरक्षित वर्ग का कैंडिडेट सामान्य वर्ग के समान या उससे अधिक नंबर पाता है तो ऐसे कैंडिडेट को अनारक्षित कोटे में नौकरी दी जाय। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आरक्षित वर्ग संविधान प्रदत्त आरक्षण के अधिकार से वंचित होंगे।
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अनुप्रिया पटेल ने कहा था कि पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों से लगातार ख़बरें आ रही हैं कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का कट ऑफ सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज़्यादा है। ऐसे रिजल्ट का मतलब ये है कि अगर आप रिजर्व कटेगरी की हैं तो सेलेक्ट होने के लिए आपको जनरल कटेगरी के कट ऑफ से ज्यादा नंबर लाने होंगे।
1 हाल ही में उत्तर प्रदेश के होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति में सामान्य वर्ग का कटऑफ 86 तो ओबीसी कटेगरी का 99 फीसदी रहा।
- राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (आरएएस) परीक्षा, 2013 में ओबीसी कटेगरी का कट ऑफ 381 और जनरल कटेगरी का कट ऑफ 350 रहा।
- रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के सब इंसपेक्टर के लिए बनी मेरिट लिस्ट में ओबीसी कटेगरी का कट ऑफ 95.53 प्रतिशत रहा जबकि इससे कम 94.59 परसेंट लाने वाले जनरल कटेगरी के कैंडिडेट सेलेक्ट हो गए।
- दिल्ली सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए एससी कैंडिडेट की कट ऑफ 85.45 परसेंट निर्धारित की गई, जबकि जनरल कटेगरी की कट ऑफ उससे काफी कम 80.96 परसेंट निर्धारित की गई।
- मध्य प्रदेश में टेक्सेसन असिस्टेंट की परीक्षा में भी ओबीसी का कट ऑफ जनरल से ऊपर चला गया। ऐसा कई राज्यों में हो रहा है।
ओबीसी की आबादी देश की आबादी का 52 फीसदी है। आर्थिक और सामाजिक रूप से अशक्त होने के कारण इस वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया।
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