ब्राह्मण, दलित व सहयोगी दलों के जरिए ओबीसी को साधने की तैयारी
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने में अब महज 6 महीने शेष रह गए हैं, लेकिन प्रदेश में एक बार फिर योगी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा शुरू हो गई है। मीडिया जगत में रक्षाबंधन के बाद योगी मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना बताई जा रही है।

मंत्रिमंडल विस्तार में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए जितिन प्रसाद, दलित समाज से आने वाले विद्यासागर सोनकर, सहयोगी पार्टी अपना दल एस के कार्यकारी अध्यक्ष व विधान परिषद सदस्य आशीष पटेल और निषाद पार्टी के मुखिया डॉ.संजय निषाद को शामिल किए जाने की चर्चा है। इनके अलावा पश्चिम में गुर्जर समाज से आने वाले सोमेंद्र तोमर एवं जाट समाज से आने वाली मंजू सिवाल को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा है।

विपक्षी गठजोड़ एवं किसान आंदोलन के प्रभाव को कमजोर करने एवं महंगाई से त्रस्त जनता का मूड डायवर्ट करने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार में ब्राह्मण, अन्य पिछड़ा वर्ग, दलित व पश्चिम से जाट एवं गुर्जर समाज को शामिल करने की रणनीति बना रही है। इसके तहत अन्य पिछड़ों को साधने के लिए अपना दल एस के आशीष पटेल व निषाद पार्टी के डॉ.संजय निषाद को शामिल करने की तैयारी की जा रही है।

इसके अलावा पूर्वांचल में दलित समाज को साधने के लिए विद्यासागर सोनकर भी मंत्रिमंडल में जगह देने की बात हो रही है। बता दें कि मोहनलालगंज लोकसभा क्षेत्र से दलित सांसद कौशल किशोर को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल कर बीजेपी पहले ही मध्य उत्तर प्रदेश के दलित समाज को संदेश दे चुकी है। अब पूर्वांचल के दलित समाज को साधने की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा पश्चिम में किसान आंदोलन के प्रभाव को कम करने के लिए वहां की दो प्रमुख जातियों जाट एवं गुर्जर समाज की नाराजगी कम करने की कोशिश की जा सकती है।
युवा सामाजिक चिंतक अजय कुमार कुशवाहा कहते हैं,
“मंत्रिमंडल विस्तार में कुछ मंत्रियों की संख्या घट-बढ़ जाने से क्या फर्क पड़ने वाला? सबको पता है योगी आदित्यनाथ की सरकार को 3-4 नौकरशाह मिलकर चला रहे हैं और आगे भी वही चलाएंगे।
कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश की जनता इनके कार्यकाल से त्रस्त आ चुकी है और नए विकल्पों की तलाश में है। अब योगी आदित्यनाथ कितना भी मंत्रिमंडल विस्तार कर लें लेकिन जनता उनके कार्यकाल को अब और अधिक विस्तार देने के मूड में नहीं है।“